Saif Ali Khan enemy property : सैफ अली खान की 3 संपत्तियों का पाकिस्तान कनेक्शन, मोदी सरकार ने की बड़ी कार्रवाई

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Saif Ali Khan enemy property : सैफ अली खान की 3 संपत्तियों का पाकिस्तान कनेक्शन, मोदी सरकार ने की बड़ी कार्रवाई
Saif Ali Khan enemy property : सैफ अली खान की 3 संपत्तियों का पाकिस्तान कनेक्शन, मोदी सरकार ने की बड़ी कार्रवाई

सैफ अली खान के नाम पर पाकिस्तान में शत्रु संपत्ति होने का खुलासा हुआ है। मोदी सरकार ने इस संपत्ति पर बड़ी कार्रवाई की है।

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अभिनेता सैफ अली खान पटौदी के नवाब हैं। पटौदी पैलेस के मालिक सैफ अली खान के नाम पर तीन और संपत्तियां हैं। हालांकि, उन तीनों संपत्तियों को अब शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया है। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, इन तीनों संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया है। इनमें भोपाल, सीहोर और रायसेन में करोड़ों की संपत्तियां शामिल हैं।

पाकिस्तान गए रिश्तेदारों की वजह से कार्रवाई?

गृह मंत्रालय के शत्रु संपत्ति संरक्षण (CEPI) विभाग ने 8 मई 2025 को लिखे पत्र में कहा है कि नवाब हमीदुल्लाह खान की बेटियां आबिदा और आफताब बेगम पाकिस्तानी नागरिक हैं। इसलिए उनके नाम पर संपत्तियों पर कार्रवाई की जा रही है। सैफ अली खान नवाब हमीदुल्लाह खान के वारिस हैं, इसलिए उनका नाम इस मामले में सामने आया है।

550 एकड़ जमीन शत्रु संपत्ति में?

सामाजिक कार्यकर्ता अमिताभ अग्निहोत्री ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी। उनकी मांग के अनुसार, नवाब परिवार से 1949 के विलय समझौते की मूल प्रति मांगी गई है। अग्निहोत्री ने कहा कि अगर यह प्रति नहीं दी गई तो संबंधित संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।

भारत में कितनी शत्रु संपत्तियां हैं?

माला श्रीवास्तव द्वारा हाईकोर्ट में पेश की गई जानकारी के अनुसार भोपाल और उसके आसपास की करीब 550 एकड़ जमीन नवाब परिवार के नाम पर थी। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में इस समय 12,983 शत्रु संपत्तियां हैं। इनमें सबसे ज्यादा संपत्तियां उत्तर प्रदेश (5,688) और पश्चिम बंगाल (4,354) में हैं। ये सभी संपत्तियां सीईपीआई विभाग के नियंत्रण में हैं।

शत्रु संपत्ति वास्तव में क्या है?

शत्रु संपत्ति से तात्पर्य उन नागरिकों के नाम पर संपत्ति से है जो भारत से पाकिस्तान या चीन चले गए और भारत में ही रह गए। सरकार ने 1968 के ‘शत्रु संपत्ति अधिनियम’ के तहत इन संपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया। इन संपत्तियों को CEPI की निगरानी में रखा गया।

2017 में अधिनियम में संशोधन करके स्पष्ट किया गया कि भारत में रहने वाले उनके किसी भी उत्तराधिकारी का इस संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा और न ही उन्हें कोई मुआवज़ा दिया जाएगा।

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