Bihar Land Survey: बड़ी खबर, कागजात नहीं, रशीद अपडेट नहीं, तो फिर क्या होगा? राजस्व विभाग ने बताया ये समाधान

0
19
Bihar Land Survey: बड़ी खबर, कागजात नहीं, रशीद अपडेट नहीं, तो फिर क्या होगा? राजस्व विभाग ने बताया ये समाधान
Bihar Land Survey: बड़ी खबर, कागजात नहीं, रशीद अपडेट नहीं, तो फिर क्या होगा? राजस्व विभाग ने बताया ये समाधान

दखल कब्जा जमीन पर है, लेकिन जमाबंदी और रसीद नहीं है और बिना साक्ष्य कोई किसी जमीन पर रह रहा है, तो स्वामित्व की स्थिति पुराने सर्वे के अनुसार स्पष्ट की जाएगी। अगर गैर-मजरूआ मालिक जमीन पर किसी ने मकान बना रखा है, तो पिछले खतियान के समय से जो रैयत इस पर बसे हुए व्यक्ति को स्वामित्व दिया जा सकता है।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Follow Now

राज्य में चल रहे जमीन सर्वे के कार्य में लोगों के समक्ष आ रही 16 तरह की प्रमुख समस्याओं का समाधान राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने किया है। सर्वे से जुड़े तमाम अहम सवालों के विस्तृत जवाब दिए गए हैं। विभाग ने इससे संबंधित अधिसूचना भी अपनी वेबसाइट पर मंगलवार शाम अपलोड कर दिया है। विभागीय मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने बताया कि कई लोगों के पास भू-अभिलेखों की स्थिति ठीक नहीं है। कैडस्ट्रल सर्वे को 100 साल और रिविजनल सर्वे को हुए 50 साल से ज्यादा समय हो चुके हैं। इस दौरान बाढ़, अगलगी, दीमक लगने से बड़ी संख्या में जमीन के कागजात नष्ट हो गए हैं।

ऐसी स्थिति में लोगों में भय था कि कागजात के अभाव में कहीं उनकी जमीन उनके हाथ से निकल नहीं जाए। हमने उनके भय को दूर करने का काम किया है। विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त कार्यक्रम के अंतर्गत रैयतों के अधिकार अभिलेख यानी खतियान निर्माण की प्रक्रिया के अंतर्गत खेसरों की अधिकारिता निर्धारण की दिशा में ये एक महत्वपूर्ण कदम है। सभी निर्देश बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त नियमावली, 2012 के लागू होने की तिथि से ही मान्य होंगे।

आजादी के पहली की जमीन को लेकर गैर-मजरूआ जमीन का हुकुमनामा दिया गया है। जमींदारी लगान रसीद है, लेकिन इसकी कॉपी नहीं है, तो गैर मजरूआ भूमि के हुकुमनामा के आधार पर 1 जनवरी 1946 के पहले से ही कट रही रसीद और दखल के आधार पर स्वामित्व निर्धारण किया जाएगा। सीएस खतियान में रैयती और आरएस खतियान में गैर-मजरूआ जमीन दर्ज होने की स्थिति में, प्रकाशित खतियान में इंट्री में सक्षम प्राधिकार के स्तर से जारी निर्णय के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।

यदि रैयत की तरफ से आपसी बंटवारा पंचनामा के आधार पर किया गया है और स्टॉप पेपर पर शिड्यूल तैयार कर सभी हिस्सेदार के हस्ताक्षर के साथ प्रस्तुत करने पर वह मान्य होगा, अगर उस पर सभी का शांतिपूर्ण कब्जा है। यदि कोई व्यक्ति खतियानी रैयत या जमाबंदी रैयत से निबंधित दस्तावेज या केवाला के माध्यम से जमीन खरीद कर दखल किए हुए है, लेकिन केवाला का दाखिल-खारिज नहीं हुआ है, तो जमीन सर्वे में निबंधित केवाला के बाद दाखिल खारिज की प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद स्वामित्व निर्धारण किए जाने की बाध्यता नहीं है।

जमाबंदी, रसीद न हो तो

दखल कब्जा जमीन पर है, लेकिन जमाबंदी और रसीद नहीं है और बिना साक्ष्य कोई किसी जमीन पर रह रहा है, तो स्वामित्व की स्थिति पुराने सर्वे के अनुसार स्पष्ट की जाएगी। अगर गैर-मजरूआ मालिक जमीन पर किसी ने मकान बना रखा है, तो पिछले खतियान के समय से जो रैयत इस पर बसे हुए व्यक्ति को स्वामित्व दिया जा सकता है। ऐसे मामलों का निपटारा करने के लिए विभाग के स्तर से विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

चौहद्दीदारों का बयान अहम

अगर रैयत का किसी भू-खंड पर शांतिपूर्वक दखिल-कब्जा है और उसके पास कोई कागजात नहीं है, तो खेसरा के चौहद्दीदारों का बयान भी महत्वपूर्ण साक्ष्य होगा। साथ ही उस खेसरा के चौहद्दी में जमीन बिक्री, विनिमय या निबंधित बंटवारा में स्वत्वाधिकारी का नाम भी अहम साक्ष्य माना जाएगा और वह भी स्वामित्व निर्धारण का आधार होगा।

रिवीजन सर्वे, बासगीत पर्चा वालों के लिए

अंचल का कार्य आरएस (रिविजनल सर्वे) के आधार पर हो रहा है, रैयत चाहते हैं कि सर्वे सीएस (क्रेडेंसियल सर्वे) के आधार पर हो, तो अंचल में जिसके आधार पर काम हो रहा है, वही मान्य होगा। सर्वे का कार्य मुख्य रूप से आरएस के आधार पर ही किया जाएगा। इसमें आपत्ति होने पर विवाद की स्थिति होगी। सरकारी भूमि पर कोई रैयत बंदोबस्त भूमि प्राप्त कर बसे हुए हैं और उनके पास कागजात नष्ट हो गए हैं, तो अंचल में मौजूद खतियान के आधार पर इसका खतियान बनाया जाएगा। बासगीत पर्चा वालों को इसका लाभ दिया जाएगा।

रसीद अपडेट नहीं है तो भी स्वामित्व पर असर नहीं

अगर खानापुरी के समय आपसी बंटवारा और सभी हिस्सेदारों का अलग-अलग खाता खुल जाता है तथा बाद में कोई एक हिस्सेदार असहमति करते हैं, तो एकल खाता के स्थान पर वापस संयुक्त खाता खोलने की कार्रवाई की जाएगी। अगर कोई रैयत किसी कारण से यदि जमाबंदी या लगान रसीद को अपडेट नहीं कराता है, तो इस परिस्थिति में नए खतियान में स्वामित्व की स्थिति प्रभावित नहीं होगी। भूमि के वर्तमान वास्तविक दखल के अनुरूप ही सर्वे खतियान तैयार होगा।

वंशावली और पारिवारिक बंटवारे को लेकर अहम बातें

वंशावली को लेकर स्थिति स्पष्ट की गई है। रैयतों को वंशावली स्वहस्ताक्षरित कर समर्पित करनी है। मौखिक या आपसी बंटवारा की स्थिति में, किसी भी पैतृक जमीन पर उनके वर्तमान उत्तराधिकारियों के स्वामित्व की स्थिति स्पष्ट की जा सकेगी। संयुक्त परिवार में अलग-अलग व्यक्ति के नाम से खतियान था, सहमति के आधार पर किए गए बंटवारा से वर्तमान दखलकारों के नाम पर अलग-अलग खेसरों के स्वामित्व की स्थिति स्पष्ट होगी।

वंशावली में पुत्री का नाम कब जरूरी नहीं

वंशावली में खतियानी रैयत की पुत्री या बहन का नाम तभी शामिल नहीं होगा, जब महिला के स्तर से संपत्ति का परित्याग कर दिया गया है। अथवा पिता के स्वअर्जित भूमि की वसीयत में पुत्री का नाम दर्ज नहीं है। अगर महिला का नाम है तो अपने पिता की संपत्ति में नियमानुकूल उनका हिस्सा मिलेगा।

HDFC बैंक ने फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। नवीनतम दरें देखें

Disclaimer

This is a kind of entertainment news website, on which we pick up all kinds of information from different web sites and present it to the people, if there is any mistake by us, then you can contact us, we will try and make this website even better.