
RBI ने 100 और 200 रुपये के नोटों की सप्लाई बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। सितंबर 2025 तक 75% ATM में ये नोट सप्लाई किए जाएंगे। इसका उद्देश्य 500 रुपये के नोटों का इस्तेमाल कम करना है।
RBI ने एक आदेश दिया है और उसके बाद सोशल मीडिया पर चर्चाएं तेज हो गई हैं. RBI ने 100 और 200 रुपये के नोटों की सप्लाई बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. RBI ने कहा है कि सितंबर 2025 तक देशभर के कम से कम 75% ATM में 100 और 200 रुपये के नोट होने चाहिए. ऐसा भी लग रहा है कि इसके पीछे मकसद 500 रुपये के नोटों के इस्तेमाल को कम करना है.
बैंकिंग विशेषज्ञ और ‘वॉयस ऑफ बैंकिंग’ के संस्थापक अश्विनी राणा के मुताबिक, रिजर्व बैंक देशभर में एटीएम के जरिए 200 और 100 रुपये के नोटों की मात्रा बढ़ाने के लिए ऐसा कर रहा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि आरबीआई का मकसद 500 रुपये के नोटों पर निर्भरता कम करना हो सकता है।
राणा कहते हैं, “अगर 2000 रुपये के नोट बंद हो गए हैं, तो भविष्य में 500 रुपये के नोट भी बंद हो जाएं तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।” डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ने से सर्कुलेशन में नोटों का इस्तेमाल कम हुआ है। एक और अहम बात यह है कि 500 रुपये के नकली नोट सर्कुलेशन में आ रहे हैं। इस पर लगाम लगाने के लिए भी सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
RBI डिजिटल करेंसी यानी ई-रुपी के लिए सक्रिय रूप से तैयारी कर रहा है। छोटे नोट खुदरा लेन-देन को आसान बनाएंगे। चूंकि बड़े नोट छापना महंगा है, इसलिए आरबीआई के लिए छोटे मूल्यवर्ग के नोटों का इस्तेमाल करना अधिक टिकाऊ विकल्प है। अश्विनी राणा का स्पष्ट मत है कि, “जो लोग 500 रुपये के नोट जमा कर रहे हैं, उन्हें अब सावधान हो जाना चाहिए। 2000 रुपये के नोट अचानक चलन से बाहर कर दिए गए। इसलिए, 500 रुपये के नोटों के भी उसी तरह खत्म होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।”
RBI का नया आदेश सिर्फ एटीएम प्रबंधन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की नकदी आधारित अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकता है। क्या भविष्य में 500 रुपये के नोट का अस्तित्व कम हो जाएगा? यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन संकेत यही हैं कि ऐसा होगा।