भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने NPCI को मर्चेंट ट्रांजैक्शन के लिए UPI लिमिट बढ़ाने के लिए अधिकृत किया है। इससे मर्चेंट आसानी से UPI के ज़रिए बड़ी रकम का ट्रांजैक्शन कर सकेंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में घोषणा की है कि नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) अब बैंकों के परामर्श से मर्चेंट ट्रांजेक्शन (पर्सन-टू-मर्चेंट- P2M और मर्चेंट-टू-मर्चेंट- M2M) के लिए UPI लिमिट को बढ़ा या घटा सकता है। इसका मतलब है कि अब इस लिमिट को समय-समय पर बाजार की जरूरतों के हिसाब से बदला जा सकता है।
पर्सन-टू-पर्सन (P2P) ट्रांजेक्शन के लिए 1 लाख रुपये की लिमिट पहले की तरह ही रहेगी। अब P2M और M2M ट्रांजेक्शन के लिए लिमिट बढ़ाई जा सकती है। इस नए प्राधिकरण के अनुसार, NPCI चाहे तो व्यापारिक ट्रांजेक्शन के लिए UPI लिमिट को ₹2 लाख या ₹5 लाख तक बढ़ा सकता है।
व्यापारियों के लिए फायदेमंद.
छोटे दुकानदार, ऑनलाइन उद्यमी और अन्य व्यापारी यूपीआई के माध्यम से बड़ी मात्रा में धन का लेन-देन आसानी से कर सकेंगे।
डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना
इससे डिजिटल भुगतान (UPI) को बढ़ावा मिलेगा और नकद लेन-देन पर निर्भरता कम होगी।
बड़ी खरीदारी के लिए UPI लेन-देन आसान हो गया
अब आभूषण और महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी खरीदारी के लिए UPI लेन-देन आसान और अधिक व्यवहार्य हो जाएगा।
बैंकों के लिए सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता
बैंकों को अब अपनी तकनीकी प्रणालियों और सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की आवश्यकता होगी ताकि बड़े लेन-देन सुरक्षित रूप से किए जा सकें।
RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में एक अहम फैसला लिया गया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इसकी घोषणा की। आरबीआई एमपीसी (RBI MPC) के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से ब्याज दर घटाने का फैसला किया है। आज की कटौती के बाद रेपो रेट 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 6% हो गया है। उन्होंने कहा कि कारोबारी साल 2026 की शुरुआत चुनौतियों के साथ हुई है।
MSF की दर 6.5% से घटाकर 6.25% कर दी गई है। SDF की दर 6% से घटाकर 5.75% कर दी गई है। रेपो रेट में 0.25% (25 बेसिस पॉइंट) की कटौती की गई है। इस फैसले का सीधा असर आम नागरिक की जेब पर पड़ेगा। आइए जानते हैं ये 5 फैसले क्या हैं और इनका क्या असर होगा।