Income Tax return Filing Tips: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना ज्यादातर टैक्सपेयर्स काफी थकान भरा और लम्बा प्रोसेस होता हैं। हालांकि, अगर कोई समय से थोड़ा पहले अपने सभी जरूरी इकठा कर लें, तो आपके लिए यह (ITR filing process) काम आसान हो सकता है। लेकिन साथ ही यह भी बहुत जरुरी है की आपको कुछ ऐसी गलतियों के बारे में पता होना चाहिए, जो आम तौर पर टैक्सपेयर्स रिटर्न भरते समय करते हैं और इसकी वजह से उन्हें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (income tax notice) से नोटिस मिल जाता है। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते है-
टैक्स रिटर्न फाइल करना आम तौर पर टैक्सपेयर्स काफी थकाऊ अनुभव मानते हैं। हालांकि, अगर आप समय से थोड़ा पहले यह प्रक्रिया शुरू कर दें और आपके पास सभी जरूरी दस्तावेज हों, तो आपके लिए यह काम (ITR Filing Tips) आसान हो सकता है। आपको कुछ ऐसी गलतियों के बारे में पता होना चाहिए, जो आम तौर पर टैक्सपेयर्स रिटर्न भरते समय करते हैं और इसकी वजह से उन्हें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस मिल जाता है।
फॉर्म 16 और फॉर्म 26AS डेटा को वेरिफाई नहीं करना
अपना रिटर्न भरना शुरू करने से पहले आपको फॉर्म 26AS और एन्यु्अल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) डाउनलोड करना नहीं भूलें। दोनों फॉर्म इनकम टैक्स के ई-फाइलिंग पोर्टल (Income tax return file) पर उपलब्ध हैं। 26AS में मौजूदा फाइनेंशियल रिकॉर्ड मसलन टीडीएस आदि का मिलान फॉर्म 16 के डिटेल से होना जरूरी है। दोनों में किसी भी तरह का अंतर आपके लिए दिक्कत पैदा कर सकता है और आपको इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिल सकता है।
गलत ITR फॉर्म का चुनाव करना
अगर आपने रिटर्न फाइल करने के मामले में गलत फॉर्म का चुनाव किया है, तो आपको टैक्स नोटिस मिल सकता है। मसलन अगर आपने शेयर या म्यूचुअल फंड यूनिट्स (ITR form 16) की बिक्री से कैपिटल गेन्स हासिल किया है और ITR-2 के बजाय ITR-1 फॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो नॉन-डिस्क्लोजर के लिए आपको टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस मिल सकता है। गलत फॉर्म चुनने पर आपके रिटर्न को ‘गड़बड़’ घोषित कर दिया जाएगा।
फॉरेन की संपत्तियों का खुलासा नहीं करना
कई भारतीय एंप्लॉयीज, खास तौर पर IT सेक्टर के एंप्लॉयी की पोस्टिंग विदेश में भी होती है। ऐसे में वे उन देशों में बैंक खाता खोलते हैं। हालांकि, ऐसे कई लोग भारत आने पर इन खातों का जिक्र करना भूल जाते हैं और रिटर्न भर देते हैं। इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि अगर आपके खाते में बैलेंस शून्य है, तो भी ऐसे खाते का जिक्र करना जरूरी है।
कैपिटल गेन्स इनकम का जिक्र नहीं करना
AIS और फॉर्म 26AS में टैक्सपेयर्स के ट्रांजैक्शन का पूरा ब्यौरा होता है, लिहाजा किसी भी इनकम के बारे में जानकारी छिपाई नहीं जा सकती है। अगर आप रिटर्न में शेयरों या म्यूचुअल फंड यूनिट्स की बिक्री से हासिल फायदे के बारे में जानकारी नहीं उपलब्ध कराते हैं, तो आपको नोटिस मिल सकता है।
गलत छूट का दावा
राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने या इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत फर्जी तरीके से छूट हासिल करने के मामले में भी आपको नोटिस मिल सकता है। मनीकंट्रोल पहले ही बता चुका है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्स छूट के संदिग्ध मामलों का पता लगाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है।
दस्तावेजों को सुरक्षित नहीं रखना
अगर आपने पुरानी रिजीम के तहत रिटर्न भरने का विकल्प चुना है, तो आपको ऐसे सभी दस्तावेज अपने पास रखने चाहिए, जिनके आधार पर आपने टैक्स छूट ली है। ऐसा करने पर आप किसी भी तरह की जांच की स्थिति में सुरक्षित रहेंगे और आपको किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
पिछले एंप्लॉयर की जानकारी नहीं देना
अगर आपने एक फाइनेंशियल ईयर में दो कंपनियों के लिए काम किया है, तो कायदे से आपको रिटर्न भरते समय प्रोफेशनल की मदद लेनी चाहिए। ऐसे लोगों के पास दो फॉर्म 16 होते हैं। एक फॉर्म 16 मौजूदा एंप्लॉयर की तरफ से मिलता है, जबकि अन्य फॉर्म पूर्व एंप्लॉयर मुहैया कराता है। रिटर्न में दोनों कंपनियों से हासिल इनकम के बारे में जिक्र करना नहीं भूलें। AIS में आपकी इनकम के बारे में पूरा ब्यौरा होता है, लिहाजा इसमें दोनों फॉर्म 16 का ब्यौरा दिखेगा।
बैंक खाते का गलत ब्यौरा
आपकी तरफ से दिए गए बैंक खाते के नंबर पर ही आपको रिफंड मिलता है। अगर आपका बैंक खाता नंबर सही नहीं है, तो आपके रिफंड में देरी हो सकती है। ITR में खात नंबर, IFSC, बैंक का नाम और अन्य ब्यौरा देने में सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।
आखिरी वक्त में रिटर्न भरना
रिटर्न भरने के काम को टालकर आखिरी वक्त पर ले जाना नुकसानदेह साबित हो सकता है। मुमकिन है कि आप हड़बड़ी में कई जरूरी जानकारी का जिक्र करना भूल जाएं। रिटर्न भरने की आखिरी तारीख आने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर भीड़ काफी बढ़ जाती है और इस वजह से आखिरी समय में तकनीकी दिक्कतें भी बढ़ने लगती हैं। लिहाजा, समय से थोड़ा पहले रिटर्न भरने से आप कई तरह के झंझटों से मुक्त रह सकते हैं।
ई-वेरिफिकेश प्रोसेस पूरा नहीं होना
ITR फाइलिंग की प्रक्रिया रिटर्न भरने से ही नहीं पूरी हो जाती है। इसके बाद रिटर्न का वेरिफिकेशन जरूरी है, जिसके बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इसकी प्रोसेसिंग करेगा। आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के ई-फाइलिंग पोर्टल के जरिये आधार नंबर का इस्तेमाल कर बैंक खाते, डीमैट खाते आदि की मदद से अपने रिटर्न का वेरिफिकेशन कर सकते हैं।
आप ई-फाइलिंग वेबसाइट से ITR-V फॉर्म डाउनलोड कर इसे बेंगलुरु स्थित इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर को भेज सकते हैं। आपका वेरिफिकेशन रिटर्न भरने के 30 दिनों के बाद होता है, वेरिफिकेशन की तारीख को ही रिटर्न भरने की तारीख माना जाएगा।