Gratuity Rule: इन स्थितियों में कंपनी को है ग्रेच्युटी रोकने का अधिकार, जाने डिटेल्स में

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Gratuity Rule: इन स्थितियों में कंपनी को है ग्रेच्युटी रोकने का अधिकार, जाने डिटेल्स में
Gratuity Rule: इन स्थितियों में कंपनी को है ग्रेच्युटी रोकने का अधिकार, जाने डिटेल्स में

आपने किसी कंपनी में 5 साल काम किया, लेकिन कंपनी ने फिर भी आपको ग्रेच्युटी नहीं दी, तो आप क्या करेंगे? किन परिस्थितियों में कंपनी को आपकी ग्रेच्युटी रोकने का अधिकार है? अगर कंपनी ग्रेच्युटी हड़पने की नीयत से नहीं दे रही है, तो आपके पास क्या अधिकार हैं?

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नियमों के मुताबिक, अगर आप किसी कंपनी में 5 साल या उससे ज्यादा समय तक ईमानदारी से काम करते हैं, तो आप ग्रेच्युटी के हकदार बन जाते हैं. यह रकम कर्मचारी को नौकरी छोड़ते समय या रिटायरमेंट के समय उसकी नौकरी की कुल अवधि की गणना करके दी जाती है.

लेकिन मान लीजिए आपने किसी कंपनी में 5 साल काम किया, लेकिन कंपनी ने फिर भी आपको ग्रेच्युटी नहीं दी, तो आप क्या करेंगे? आखिर किन परिस्थितियों में कंपनी को आपकी ग्रेच्युटी रोकने का अधिकार है? अगर कंपनी ग्रेच्युटी हड़पने की नीयत से नहीं दे रही है, तो आपके पास क्या अधिकार हैं? इसके बारे में यहां जानें-

इन स्थितियों में कंपनी को ग्रेच्युटी रोकने का अधिकार है

अगर किसी कर्मचारी पर अनैतिक व्यवहार का आरोप है या उसकी लापरवाही की वजह से कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ है, तो कंपनी को उसकी ग्रेच्युटी की रकम न देने का अधिकार है। लेकिन ग्रेच्युटी रोकने के लिए कंपनी को पहले सबूत और इसकी वजह पेश करनी होगी। कंपनी जो भी वजह बता रही है, उसके लिए उसे कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस जारी करना होगा।

इसके बाद दोनों पक्षों की बात सुनी जाती है। कर्मचारी के दोषी पाए जाने पर ही ग्रेच्युटी का पैसा रोका जाएगा। लेकिन ऐसे मामले में भी कंपनी सिर्फ उतना ही नुकसान काटेगी, जितना उसे हुआ है। इसके अलावा जब कंपनी या संस्थान ग्रेच्युटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड नहीं है, तो कर्मचारी ग्रेच्युटी एक्ट के तहत नहीं आते। ऐसी स्थिति में ग्रेच्युटी देना या न देना कंपनी का विवेक है।

अगर कंपनी ने पैसे हड़पने की नीयत से रोक रखे हैं तो… अगर आपने किसी कंपनी में 5 साल तक पूरी लगन और मेहनत से काम किया, लेकिन इसके बाद भी कंपनी ने आपको ग्रेच्युटी नहीं दी तो ऐसी स्थिति में आपको कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है। इस स्थिति में कर्मचारी कंपनी के खिलाफ नोटिस भेज सकता है। अगर इसके बाद भी उसकी समस्या का समाधान नहीं होता और उसे रकम का भुगतान नहीं किया जाता तो कर्मचारी कंपनी के खिलाफ जिला श्रम आयुक्त से शिकायत कर सकता है।

मामले में दोषी पाए जाने पर कंपनी को पेनाल्टी और ब्याज के साथ ग्रेच्युटी की रकम चुकानी होगी।

ये हैं ग्रेच्युटी के नियम

  •  अगर किसी निजी या सरकारी कंपनी में 10 या इससे ज्यादा लोग काम करते हैं तो उस कंपनी को सभी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ देना चाहिए। कंपनी के अलावा दुकानें, खदानें, फैक्ट्रियां भी इस नियम के दायरे में आती हैं।
  •   अगर किसी कर्मचारी ने कंपनी में 4 साल 8 महीने काम किया है तो उसकी नौकरी पूरे 5 साल मानी जाएगी और उसे 5 साल के हिसाब से ही ग्रेच्युटी की रकम मिलेगी। अगर उसने 4 साल 8 महीने से कम काम किया है तो उसकी नौकरी की अवधि 4 साल गिनी जाएगी और ऐसी स्थिति में उसे ग्रेच्युटी नहीं मिलेगी।
  •  अगर किसी कर्मचारी की नौकरी के दौरान मौत हो जाती है तो उसके ग्रेच्युटी अकाउंट में जमा पूरी रकम उसके नॉमिनी (Gratuity Nominee) को दे दी जाती है। ऐसे में कम से कम 5 साल काम करने की शर्त लागू नहीं होती।
  •  कर्मचारी का नोटिस पीरियड भी ग्रेच्युटी की अवधि में गिना जाता है। मान लीजिए आपने साढ़े चार साल काम करने के बाद किसी कंपनी से इस्तीफा दे दिया, लेकिन इस्तीफे के बाद दो महीने का नोटिस पीरियड दिया। ऐसी स्थिति में आपकी नौकरी की अवधि 4 साल 8 महीने ही गिनी जाएगी। और ग्रेच्युटी की रकम 5 साल मानकर दी जाएगी।
  • कोई भी कंपनी अपने कर्मचारी को ग्रेच्युटी के तौर पर अधिकतम 20 लाख रुपए दे सकती है। ग्रेच्युटी के तौर पर मिलने वाली रकम टैक्स फ्री होती है। यह नियम सरकारी नौकरी और प्राइवेट नौकरी दोनों पर लागू होता है।
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