EPF Salary Limit: EPFO के मौजूदा नियमों के मुताबिक, जिन कर्मचारियों की बेसिक सैलरी ₹15,000 या इससे कम है, उन्हें EPF (कर्मचारी भविष्य निधि) और EPS (कर्मचारी पेंशन योजना) का लाभ मिलता है। कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को सैलरी का 12% EPF में जमा करना होता है।
ईपीएफ खाताधारकों के लिए अच्छी खबर है। जल्द ही ईपीएफओ की नई गाइडलाइन जारी होने वाली है। सरकार इसमें कुछ नए बदलाव करने जा रही है। सबसे बड़ा बदलाव वेतन सीमा को लेकर हो सकता है। फिलहाल कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के तहत कर्मचारी और नियोक्ता मूल वेतन का 12 फीसदी योगदान करते हैं, जिसमें वेतन सीमा ₹15,000 तय है। लेकिन अब सरकार इस सीमा में बदलाव करने की तैयारी कर रही है। सूत्रों की मानें तो यह सीमा बढ़ाकर ₹21,000 की जा सकती है। इससे ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को ईपीएफ और ईपीएस का लाभ मिल सकेगा। ईपीएफओ की वेतन सीमा ₹15,000 से बढ़ाकर ₹21,000 करने की योजना है। अगर यह बदलाव लागू होता है तो इसका असर लाखों कर्मचारियों और नियोक्ताओं पर पड़ेगा। आइए जानते हैं क्या है यह बदलाव…
क्या है EPF और EPS का नियम?
EPFO के मौजूदा नियमों के मुताबिक, जिन कर्मचारियों की बेसिक सैलरी ₹15,000 या इससे कम है, उन्हें EPF (कर्मचारी भविष्य निधि) और EPS (कर्मचारी पेंशन योजना) का लाभ मिलता है। कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को वेतन का 12% EPF में जमा करना होता है। नियोक्ता के 12% योगदान में से 8.33% EPS (पेंशन योजना) में जाता है, लेकिन यह अधिकतम ₹1,250 हो सकता है।
अगर सरकार सैलरी लिमिट ₹15,000 से बढ़ाकर ₹21,000 कर देती है, तो इससे क्या बदलाव आएंगे?
EPS (पेंशन स्कीम) में जाएगा ज़्यादा पैसा- अभी नियोक्ता EPS में ₹1,250 का योगदान देता है, लेकिन बढ़ी हुई लिमिट के बाद यह ₹1,749 हो जाएगा। इसका मतलब है कि रिटायरमेंट के बाद आपको ज़्यादा पेंशन मिलेगी।
EPF में जमा होगा ज़्यादा पैसा- जिन कर्मचारियों की सैलरी ₹15,000 से ज़्यादा थी, लेकिन EPF कटौती सीमित थी, उनका पूरा योगदान अब उनकी सैलरी के आधार पर होगा।
इस योजना के तहत ज्यादा कर्मचारी आएंगे- पहले जिनकी सैलरी ₹15,000 से ज्यादा थी, वे EPS का लाभ नहीं ले सकते थे, लेकिन अब ₹21,000 तक की सैलरी वाले कर्मचारी भी पेंशन योजना में शामिल होंगे।
आपकी सैलरी पर क्या असर होगा?
इन-हैंड सैलरी पर असर- क्योंकि, PF डिडक्शन बढ़ सकता है, तो आपकी नेट इन-हैंड सैलरी थोड़ी कम हो सकती है। लेकिन इसका फायदा रिटायरमेंट के वक्त मिलेगा।
रिटायरमेंट के लिए बचत ज्यादा होगी- EPF और EPS में ज्यादा डिडक्शन होगा, जिससे बुढ़ापे में पेंशन और बचत ज्यादा होगी।
नियोक्ता पर बोझ बढ़ेगा- कंपनियों को नियोक्ता अंशदान के तौर पर ज्यादा पैसे देने होंगे, जिससे सैलरी स्ट्रक्चर में कुछ बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
कब हो सकता है यह बदलाव?
अभी तक EPFO या सरकार ने इस पर कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की है। लेकिन सूत्रों की मानें तो इस पर चर्चा हो रही है और संभावना है कि सरकार जल्द ही इस पर कोई फैसला ले सकती है। लंबे समय से श्रमिक यूनियनों और पेंशनर्स की भी यह मांग थी कि वेतन सीमा बढ़ाई जाए।