EPFO Salary Increase: केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों और Minimum wage for pensioners को बढ़ाने का फैसला किया गया है। आपको बता दें कि अभी केंद्रीय कर्मचारियों की Minimum Basic Salary 18000 रुपए है सरकार इसे बढ़ाकर 26000 रुपए तक कर सकती है।
Employees Provident Fund Organisation (EPFO) कर्मचारियों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए EPF के तहत न्यूनतम वेतन सीमा को बढ़ाने की योजना {Plan to increase the minimum wage limit} बना रही है जिसमें कर्मचारियों को 15000 रुपए की न्यूनतम वेतन सीमा को बढ़ाकर 21000 रुपए तक करने की बात कर रही है। इसके साथ ही बताया जा रहा है कि EPFO में कर्मचारियों की संख्या को 10 से 15 किया जा रहा है जिससे अधिक कंपनियों को इस दायरे में लाया जा सकेगा।
EPFO Salary Increase 2025
EPFO के तहत कर्मचारी और खाता धारकों को बहुत जल्द ही वेतन में बदलाव देखने को मिल सकते हैं। भारत सरकार ने EPF के लिए वेतन सीमा को ₹15000 से बढ़कर 25000 करने का विचार बनाया है। इस योजना के तहत कम से कम 75 लाख कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) योजना के अंतर्गत कर्मचारी और पेंशन भोगियों को उनके मूल वेतन का 12% दिया जाता है।
EPF के वेतन सीमा में आखरी बार संशोधन 2014 में किया गया था जब वेतन सीमा को 6500 रुपए से बढ़ाकर 15000 रुपए कर दिया गया था वही अब साल 2025 में वेतन सीमा को 21000 या 25000 तक बढ़ाया जा सकता है।
क्या है EPFO?
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वैधानिक निकाय है। देश का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा संगठन होने के नाते, यह मुख्य रूप से लोगों को अन्य बातों के अलावा सेवानिवृत्ति के लिए बचत करने के लिए प्रोत्साहित करता है। ईपीएफओ श्रम और रोजगार मंत्रालय के दायरे में आता है और इसकी स्थापना 1952 में हुई थी।
भारत का संविधान ‘राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों’ के तहत निर्दिष्ट करता है कि राज्य बेरोजगारी, बुढ़ापे, बीमारी और विकलांगता और अवांछित अभाव के मामलों में काम, शिक्षा और सार्वजनिक सहायता के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए प्रभावी प्रावधान करेगा। इस कथन के अनुपालन में, बदलते परिवेश में एक गतिशील सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम की आवश्यकता थी। इस प्रकार, भविष्य निधि के लिए कानून कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए एक सम्मानजनक जीवन प्रदान करने के प्रयास के रूप में बनाया गया था, जब उनका रोजगार अवधि समाप्त हो गई थी।
Employees Provident Fund Organisation 1951 में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) अध्यादेश के अधिनियमन के साथ अस्तित्व में आया। ईपीएफ अध्यादेश को बाद में ईपीएफ फंड अधिनियम, 1952 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। ईपीएफ विधेयक संसद में पेश किया गया था 1952 कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों के लिए भविष्य निधि प्रदान करने के लिए। कर्मचारी भविष्य निधि को नियंत्रित करने वाले कानून को अब कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 (जिसे अधिनियम भी कहा जाता है) के रूप में जाना जाता है। यह अधिनियम जम्मू-कश्मीर को छोड़कर संपूर्ण भारत में लागू है।
EPFO Salary Increase में बढ़ेगा 25000 रुपए
बताया जा रहा है कि सरकारी कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी बहुत जल्द ही बढ़ सकती है। इसके लिए केंद्रीय कर्मचारी की न्यूनतम बेसिक सैलरी 18000 रुपए है जिसे बढ़ाकर ₹25000 किया जा सकता है। केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए एम्पलाई प्रोविडेंट फंड (EPF) के तहत कर्मचारियों की न्यूनतम वेतन सैलरी को बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है। कर्मचारी की न्यूनतम वेतन सीमा ₹15000 है जिसे बढ़ाकर ₹21000 किया जा सकता है। इसके साथ कंपनी में न्यूनतम कर्मचारियों की संख्या 20 से घटकर 10 से 15 लोग किए जाने की संभावना है।
EPFO Salary Increase इन कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
ईपीएफओ (EPFO) केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशन भोगियों को समय-समय पर उनके वेतन में बढ़ोतरी करता है। साल 2025 इन कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी लेकर आया है जिसमें EPF या EPS में आने वाले कर्मचारियों का वेतन में बढ़त देखने को मिलेगा। आपको बता दें कि वर्तमान समय में कर्मचारियों का बेसिक वेतन का 12% ईपीएफ खाते में जमा होता है वहीं नियोक्ता के योगदान का 8.33% EPS में और बाकी बचा 3.67% EPF खाते में जमा होता है।
कर्मचारी यूनियनों ने वेतन सीमा बढ़ाकर 25,000 रुपये करने की मांग की
Employees Provident Fund Organisation मुख्य रूप से बढ़ती जीवनयापन लागत और मुद्रास्फीति को संबोधित करने के लिए सरकार से ईपीएफ वेतन सीमा को मौजूदा 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये करने का अनुरोध कर रहे हैं। “पिछले कुछ वर्षों में वेतन और खर्चों में लगातार वृद्धि हुई है, 15,000 रुपये की मौजूदा सीमा को श्रमिकों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद पर्याप्त आय सुनिश्चित करने के लिए अपर्याप्त माना जाता है।
उदाहरण के लिए, 15,000 रुपये की सीमा के साथ, श्रमिकों के वेतन का एक बड़ा हिस्सा पेंशन गणना के दायरे से बाहर रहता है, जिससे उन्हें उम्मीद से कम पेंशन मिलती है। उन्होंने कहा कि सीमा को बढ़ाकर 25,000 रुपये करने से, उनकी कमाई का एक बड़ा प्रतिशत ईपीएफ और ईपीएस योगदान दोनों के लिए माना जाएगा, जिससे बेहतर सेवानिवृत्ति सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
यूनियनों ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि 15,000 रुपये की सीमा 2014 में निर्धारित की गई थी, और आर्थिक स्थितियों से मेल खाने के लिए एक महत्वपूर्ण बढ़ोतरी लंबित है। ऊंची सीमा से कार्यबल के व्यापक वर्ग, विशेष रूप से मध्यम-आय वर्ग के लोगों को सेवानिवृत्ति और पेंशन लाभ मिलेगा, जिससे पूरे भारत में लाखों कर्मचारियों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा मिलेगी।
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