Bihar Teacher Transfer Policy : बिहार टीचर ट्रांसफर पॉलिसी से 5-6 लाख शिक्षक भड़क गये, बोले इस Policy को वापस लेने की मांग की है.

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Bihar Teacher Transfer Policy : बिहार टीचर ट्रांसफर पॉलिसी से 5-6 लाख शिक्षक भड़क गये, बोले इस Policy को वापस लेने की मांग की है.
Bihar Teacher Transfer Policy : बिहार टीचर ट्रांसफर पॉलिसी से 5-6 लाख शिक्षक भड़क गये, बोले इस Policy को वापस लेने की मांग की है.

Bihar Teacher Transfer Policy:हाल ही में बिहार शिक्षा विभाग द्वारा जारी नई ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति में हर पांच साल बाद शिक्षकों का अनिवार्य रूप से ट्रांसफर करने का प्रावधान जोड़ा गया है, जिससे बिहार में शिक्षक समुदाय में व्यापक असंतोष फैल गया है.

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इस नीति के खिलाफ राज्य के कई शिक्षक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है. लोकल 18 की टीम ने बिहार के अलग अलग शिक्षक संगठनों के नेताओं से बात की. संघों ने इसे शिक्षकों के हितों के खिलाफ बताते हुए इसे जल्द से जल्द वापस लेने की मांग की है.

ट्रांसफर के नाम पर अवैध वसूली का आरोप

बिहार विद्यालय अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष, अमित विक्रम ने नई ट्रांसफर नीति पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा, “शिक्षा विभाग में पहले से शिक्षकों का केवल ऐच्छिक ट्रांसफर का प्रावधान था, लेकिन अब सरकार हर पांच साल में अनिवार्य ट्रांसफर की बात कर रही है. यह स्पष्ट है कि इस नीति का उद्देश्य अधिकारियों को अवैध वसूली का मौका देना है.”

उन्होंने आगे कहा कि जबरन ट्रांसफर से शिक्षक स्थिरता के अभाव में पूरी तरह से पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाएंगे और इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी.

अमित विक्रम ने यह भी चिंता जताई कि बार-बार ट्रांसफर होने से न केवल शिक्षकों की मानसिक शांति भंग होगी, बल्कि उनके बच्चों की शिक्षा भी इससे प्रभावित होगी. उन्होंने मांग की कि सरकार इस नियम को तुरंत वापस ले और ट्रांसफर केवल शिक्षकों की इच्छानुसार ही किया जाए.

शिक्षकों को परेशान करने का षड्यंत्र: केशव कुमार

शिक्षक संघ बिहार के प्रदेश अध्यक्ष, केशव कुमार ने भी इस नीति को शिक्षकों के प्रति अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा, “यह नियम शिक्षकों और उनके परिवारों को बेवजह परेशान करने के लिए लाया गया है. हर पांच साल में स्कूल और स्थान बदलने की बाध्यता शिक्षकों के साथ-साथ उनके परिवारों के लिए भी अत्यधिक कठिनाई उत्पन्न करेगी.” उन्होंने इस नीति को ‘नाग की तरह’ बताया जो शिक्षकों के हितों को ‘डसने’ का काम करेगी.

केशव कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार को अनिवार्य ट्रांसफर के इस नियम पर पुनर्विचार करना चाहिए और शिक्षकों की इच्छा के अनुसार ट्रांसफर प्रक्रिया होनी चाहिए. नहीं तो, अगले विधानसभा सत्र में सभी 5 – 6 लाख शिक्षक पटना की सड़कों पर होंगे और अपनी मांग मंगवा कर ही वापस लौटेंगे.

सरकार से पुनर्विचार की मांग: राजू सिंह

टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक, राजू सिंह ने भी इस नीति को शिक्षकों के मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था के विकास के लिए बाधक बताया. उन्होंने कहा, “अगर शिक्षक मानसिक रूप से अशांत रहेंगे, तो शिक्षा प्रणाली में सुधार असंभव है. सरकार को शिक्षकों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस नियम पर फिर से विचार करना चाहिए और संघों के साथ बातचीत कर ही कोई निर्णय लेना चाहिए”.

कुल मिलाकर बात यह है कि बिहार में नई ट्रांसफर नीति को लेकर शिक्षक संघों और शिक्षा विभाग के बीच टकराव की स्थिति बन गई है. शिक्षक संघों ने एकजुट होकर इस नियम को शिक्षकों के हितों के खिलाफ बताया है और सरकार से अपील की है कि वह इस पर पुनर्विचार करे. यदि सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाती, तो राज्य में शिक्षकों का विरोध और उग्र हो सकता है.

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