Bihar School News! बिहार में प्राइवेट के छात्रों से आगे निकले सरकारी के बच्चे, नीतीश सरकार के लिए बड़ी सफलता

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Bihar School News! बिहार में प्राइवेट के छात्रों से आगे निकले सरकारी के बच्चे, नीतीश सरकार के लिए बड़ी सफलता
Bihar School News! बिहार में प्राइवेट के छात्रों से आगे निकले सरकारी के बच्चे, नीतीश सरकार के लिए बड़ी सफलता

बिहार के सरकारी स्कूलों में नामांकन पढ़ाई और ढांचागत सुविधाएं बेहतर हुई हैं। गणित और भाषा की समझ में सुधार हुआ है। सरकारी स्कूलों के बच्चे किताब पढ़ने में निजी स्कूलों से आगे निकल गए हैं। नामांकन में बेटियां आगे हैं लेकिन स्कूल छोड़ने में छात्रों का ग्राफ बढ़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर स्कूलों छोड़ने वालों की संख्या लड़कों की अपेक्षा लड़कियां अधिक है।

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Bihar News: एनुअल स्टेटस आफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) मंगलवार को राज्यवार जारी की गई है। इसमें राज्य के सरकारी स्कूलों में नामांकन, पढ़ाई, भवन, कक्षा, चारदीवारी सहित ढांचागत सुविधाएं, पेयजल व शौचालय की उपलब्धता बेहतर हुई है। गणित व भाषा की समझ पिछले वर्षों के आंकड़े की तुलना में बढ़ी है। नामांकन में बेटियां आगे हैं तो स्कूल छोड़ने में छात्रों का ग्राफ बढ़ा है।

किताब पढ़ने के मामले में प्राइवेट से आगे निकला सरकारी स्कूल

किताब पढ़ने के मामले में सरकारी स्कूलों के बच्चों की स्थिति सुधर रही है। वहीं, निजी स्कूल के बच्चों की स्थिति 2014 के आंकड़े से भी पीछे हैं। सरकारी स्कूलों में 2014 में कक्षा दो की हिंदी की पुस्तक कक्षा तीन में पढ़ने वाले सिर्फ 15.6 प्रतिशत ही पढ़ पाए थे।

2024 में यह 20.1 प्रतिशत हो गया है। इस अवधि में निजी स्कूलों के बच्चों का प्रतिशत 66.1 से घटकर 50.2 प्रतिशत हो गया है। राज्य के कक्षा तीन में पढ़ने वाले सिर्फ 26.3 प्रतिशत बच्चे ही दूसरी की हिंदी की पुस्तक पढ़ पाते हैं।

वहीं, 2014 में कक्षा पांच में पढ़ाई करने वाले सरकारी स्कूल के 44.6 व निजी के 87.8 प्रतिशत विद्यार्थी ही कक्षा दो की भाषा की किताब पढ़ पाते थे। यह आंकड़ा 2024 में क्रमश: 41.2 व 66.2 प्रतिशत हो गया है।

गणित को समझने के मामले में भी सरकारी के बच्चे आगे

2014 की तुलना में गणित की समझ बेहतर होने की गति के मामले में सरकारी स्कूल के बच्चों की स्थिति निजी की तुलना में तेज है। 2014 में राज्य के सरकारी स्कूलों में कक्षा तीन के सिर्फ 17.2 प्रतिशत बच्चे ही घटाव को हल कर पा रहे थे। 2024 में संख्या बढ़कर 27.6 प्रतिशत हो गई है।

इस अवधि में निजी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत 43.4 से बढ़कर 47.5 हो गया है। कक्षा पांच में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले 26.5 प्रतिशत व निजी में 41.8 प्रतिशत तथा आठवीं में क्रमश: 41.9 व 55.8 प्रतिशत ही भाग से संबंधित प्रश्न को हल कर सके।

बेटियों ने बेटों को पछाड़ा

छात्रों की तुलना में छात्राएं सरकारी स्कूलों में अधिक पढ़ती हैं। वहीं, निजी में छात्रों की संख्या अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर स्कूलों छोड़ने वालों की संख्या लड़कों की अपेक्षा लड़कियां अधिक है।

2022 की तुलना 2024 में कक्षा एक से पांचवीं तक में बच्चों का नामांकन घटा है। नर्सरी कक्षाओं में सरकारी की अपेक्षा निजी स्कूलों में अधिक नामांकन हो रहा है। 82.5 प्रतिशत से अधिक छात्रों के घर स्मार्ट फोन है। राष्ट्रीय स्तर पर 89.1 प्रतिशत घरों में स्मार्ट फोन है।

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