शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने विद्यालयों के निरीक्षण में देखा कि सरकारी विद्यालयों में नामांकित बड़ी संख्या में बच्चों को कक्षा अनुरूप ज्ञान नहीं है। इसको देखते हुए उन्होंने बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया। उन्होंने दक्ष मिशन की शुरुआत कर दी। इस अभियान में हर विद्यालय के कमजोर बच्चों को चिह्नित किया जाएगा। इन कमजोर बच्चों को कोई ना कोई शिक्षक गोद लेंगे।
तीन हजार बीपीएससी शिक्षकों की बहाली के बाद जिला में शिक्षकों की संख्या अब 10 हजार पार हो गई है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने विद्यालयों के निरीक्षण में देखा कि सरकारी विद्यालयों में नामांकित बड़ी संख्या में बच्चों को कक्षा अनुरूप ज्ञान नहीं है।
यानी आठवीं तक की कक्षा में नामांकित कई बच्चे ठीक से हिंदी और अंग्रेजी पढ़ भी नहीं सकते हैं। इतना ही नहीं वे गणित का मामूली जोड़-घटाव भी नहीं कर सकते हैं। इससे ठीक करने के लिए मिशन दक्ष की शुरुआत कर दी गई है।
इस अभियान में हर विद्यालय के कमजोर बच्चों को चिह्नित किया जाएगा। इसका चयन तीसरी से आठवीं तक की कक्षा में नामांकित बच्चों के बीच से किया जाएगा। इन कमजोर बच्चों को कोई ना कोई शिक्षक गोद लेंगे। उसे कक्षा के समय से अलग पढ़ाएंगे।
प्रधानाध्यापकों को वीडियो कांफ्रेंसिंग में मिली जानकारी
पहले चरण में विद्यालय के कमजोर बच्चों की पहचान प्रधानाध्यापक को पूरी करनी है। वे हर विद्यालय के ऐसे बच्चों की सूची बीआरसी में जमा करेंगे।
फिर बीआरसी से हर शिक्षक को पांच-पांच कमजोर बच्चों का नाम दिया जाएगा। संबंधित शिक्षक उन बच्चों को गोद लेकर, पढ़ना-लिखना सिखाएंगे। कमजोर बच्चे आसपास के विद्यालयों के ही होंगे। प्रधानाध्यापक इसमें ऐसे बच्चों की खोज करेंगे, जो हिंदी और अंग्रेजी पढ़ना नहीं जान रहे हैं। या गणित का भी मामूली ज्ञान उसे नहीं है।
हाईस्कूल शिक्षकों को भी पढ़ाना होगा
मिशन दक्ष अभियान में पहली से 12वीं तक के शत प्रतिशत शिक्षकों को जोड़ा जा रहा है। हाईस्कूल के दसवीं और 12वीं के सभी शिक्षकों को बच्चों को गोद लेना है। उन्हें अपने विद्यालय के आसपास के किसी प्राथमिक या मध्य विद्यालय के बच्चों को गोद लेना है।
बांका के जिला शिक्षा पदाधिकारी पवन कुमार ने बताया कि शिक्षकों को विद्यालय में कक्षा के बाद या दोपहर के समय किसी वक्त समय निकालकर इन बच्चों को पढ़ाकर आगे बढ़ाना है। मिशन दक्ष अभियान की शुरुआत हो गई है।
बुधवार को सभी विद्यालय प्रधान को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ऐसे कमजोर बच्चों की पहचान करने का टास्क दे दिया गया है। इस सप्ताह ही इस काम को सभी प्रधान पूरा कर लेंगे। इसके बाद एक दिसंबर से हर शिक्षक अपने पांच-पांच बच्चों को पढ़ाना शुरु कर देंगे।