GST News: गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) के नियमों में बड़ा बदलाव हो गया है. इसके तहत नए कारोबारी साल यानी 1 अप्रैल 2025 से जीएसटी का एक नया सिस्टम लागू होने जा रहा है. इस नए नियम (GST new rule) के बारे में अभी पढ़ लें क्योंकि बाद में मोटा नुकसान भी हो सकता है.
ये है नया जीएसटी का नियम
आज से इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) सिस्टम लागू हो गया है. इस सिस्टम की मदद से राज्य सरकारें एक ही जगह पर दी जा रही शेयर्ड सर्विसेज पर उचित मात्रा में टैक्स वसूल करेंगी. एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस बदलाव का मकसद राज्यों के बीच टैक्स रेवेन्यू के सही डिस्ट्रीब्यूशन की गारंटी देना है.
क्या है आईएसडी मैकेनिज्म?
आईएसडी मैकेनिज्म के लिए 2024 के फाइनेंस एक्ट (नंबर 1) के तहत सीजीएसटी एक्ट में संशोधन किया गया है. यह मैकेनिज्म कई राज्यों में काम करने वाले बिजनेसेज को एक शाखा या हेडक्वार्टर में कॉमन इनपुट सर्विसेज (चाहे घरेलू रूप से प्राप्त या इम्पोर्टेड) के इनवॉइस को सेंट्रलाइज करने की इजाजत देता है. इससे इन शेयर्ड सर्विसेज का इस्तेमाल करने वाली शाखाओं के बीच संबंधित इनपुट टैक्स क्रेडिट के समान डिस्ट्रीब्यूशन की सुविधा मिलती है.
क्या है Input Tax Credit?
इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) बिजनेस खरीद पर चुकाया जाने वाला टैक्स है, जिसे आउटपुट टैक्स पर टैक्स चुकाते समय घटाया जा सकता है. यह रजिस्टर्ड इंडिविजुअल की ओर से बिजनेस उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं या सर्विसेज पर चुकाए गए जीएसटी अमाउंट को दर्शाता है. इनपुट टैक्स क्रेडिट का इस्तेमाल करने से रजिस्टर्ड इंडिविजुअल की तरफ से बेची गईं वस्तुओं या सर्विसेज के लिए जीएसटी लायबिलिटी कम हो जाती है.
इससे पहले व्यवसायों के पास अपने दूसरे जीएसटी रजिस्ट्रेशंस को कॉमन आईटीसी अलॉट करने के लिए आईएसडी मैकेनिज्म या क्रॉस-चार्ज मेथड का इस्तेमाल करने का ऑप्शन था. ISD मैकेनिज्म का इस्तेमाल न करने पर रेसिपिएंट लोकेशन के लिए आईटीसी नहीं दी जाएगी. आईटीसी के गलत डिस्ट्रीब्यूशन पर टैक्स अथॉरिटीज रेसिपिएंट लोकेशंस से ब्याज सहित राशि वसूल सकती हैं. अनियमित आईटीसी डिस्ट्रीब्यूशन के लिए आईटीसी की राशि या 10000 रुपये जो भी ज्यादा हो उतने का जुर्माना देना पड़ेगा.
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