RBI Mpc Meet 2024 आरबीआई की एमपीसी बैठक (RBI Mpc Meet) 7 अक्टूबर 2024 से 9 अक्टूबर 2024 तक होगी। इस बैठक में रेपो रेट को लेकर फैसला लिया जाएगा। इस बार भी रेपो रेट में कोई कटौती की उम्मीद नहीं है। इसकी बड़ी वजह यह है कि खुदरा मुद्रास्फीति अभी भी चिंता का विषय है और पश्चिम एशिया में हालात और बिगड़ने की संभावना है।
RBI की सोमवार से शुरू होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट को लेकर किसी तरह की कटौती की उम्मीद नहीं है। इसकी बड़ी वजह यह है कि खुदरा मुद्रास्फीति अभी भी चिंता का विषय है और पश्चिम एशिया में हालात और बिगड़ने की संभावना है।
इसका असर कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों पर पड़ सकता है। इस महीने की शुरुआत में सरकार ने आरबीआई की एमपीसी का पुनर्गठन किया था। सरकार ने रामसिंह, सौगत भट्टाचार्य और नागेश कुमार को एमपीसी के बाहरी सदस्यों के तौर पर नियुक्त किया है। इन्होंने आशिमा गोयल, शशांक भिड़े और जयंत आर वर्मा का स्थान लिया है।
RBI के गवर्नर के अलावा अन्य आंतरिक सदस्यों में मौद्रिक नीति प्रभारी और डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा और आरबीआई (RBI ) के मौद्रिक नीति विभाग के कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन हैं। एमपीसी (MPC) के चेयरमैन RBI गवर्नर शक्तिकांत दास बुधवार को तीन दिवसीय चर्चा के नतीजे की घोषणा करेंगे।
RBI ने फरवरी, 2023 से रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है और विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर में ही इसमें कुछ ढील देना संभव होगा। सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे। मौजूदा समय में विशेषज्ञों का मानना है कि आरबीआई फेडरल रिजर्व (RBI Federal Reserve) के कदमों का अनुसरण नहीं कर सकता है, जिसने नीतिगत दरों में 50 आधार अंकों की कमी की है और कुछ विकसित देशों के केंद्रीय बैंक ने इस दिशा में कदम उठाया है।
और गहरा सकता है ईरान-इजरायल विवाद
बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि हमें एमपीसी द्वारा रेपो दर में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं है। इसका बड़ा कारण यह है कि सितंबर और अक्टूबर में मुद्रास्फीति के पांच प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान है। वर्तमान कम मुद्रास्फीति आधार प्रभाव के कारण है। इसके अलावा ईरान-इजरायल विवाद और भी गहरा सकता है।
उन्होंने कहा कि नए सदस्यों के साथ एमपीसी के लिए यथास्थिति सबसे अच्छा विकल्प होगा। मुद्रास्फीति पूर्वानुमान 10-20 आधार अंक तक कम हो सकता है, लेकिन जीडीपी पूर्वानुमान में किसी तरह के बदलाव की उम्मीद नहीं है।
मुद्रास्फीति पर असर डाल सकती है भू-राजनीतिक अनिश्चितता
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि में कमी को देखते हुए इस बात की संभावना ज्यादा है कि एमपीसी रेपो रेट को लेकर तटस्थ रुख अपनाए। दिसंबर, 2024 में होने वाली एमपीसी की बैठक में रेपो रेट में कुछ कमी की जा सकती है और फरवरी, 2025 में होने वाली बैठक में 25 आधार अंक की कटौती का एलान हो सकता है। अच्छे मानसून के चलते खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति के नियंत्रण में रहने की उम्मीद है। हालांकि वैश्विक राजनीतिक घटनाक्रम और भू-राजनीतिक अनिश्चितता मुद्रास्फीति पर असर डाल सकती है।
फेडरल रिजर्व के कदमों का अनुसरण नहीं करेगा RBI
सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लिमिटेड के संस्थापक प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि यह बात ठीक है कि रियल एस्टेट उद्योग और घर खरीदने वाले आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में ब्याज दर में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि आरबीआई रेपो रेट (RBI Repo Rate) को लेकर तटस्थ रुख अपनाएगा।
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च बैंक अभी भी समग्र खुदरा मुद्रास्फीति परि²श्य (विशेष रूप से खाद्य मुद्रास्फीति) से असहज है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा हाल ही में ब्याज दर में कटौती ने भारत में भी इसी तरह की उम्मीदें जगाई हैं, लेकिन घरेलू परिदृश्य बहुत अलग है।