देश में सरकारी बैंक ग्राहकों के हित में फैसले लेते नजर आ रहे हैं। हालांकि, सरकारी बैंकों का संचालन और प्रक्रिया निजी बैंकों के मुकाबले थोड़ी जटिल है, लेकिन ये बैंक समय-समय पर ग्राहकों को राहत देने वाले फैसले लेते रहते हैं।
देश में सरकारी बैंक ग्राहकों के हित में फैसले लेते नजर आ रहे हैं। हालांकि, सरकारी बैंकों का संचालन और प्रक्रिया निजी बैंकों के मुकाबले थोड़ी जटिल है, लेकिन ये बैंक समय-समय पर ग्राहकों को राहत देने वाले फैसले लेते रहते हैं।
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक ने एक बड़ा फैसला लिया है। जिससे लाखों ग्राहकों को फायदा होगा। हर बैंक में बचत खाते पर न्यूनतम बैलेंस रखने की शर्त होती है। लेकिन इस बैंक ने न्यूनतम बैलेंस की पाबंदी हटा दी है। इससे ग्राहकों को राहत मिली है।
बैंक के नियमों के मुताबिक, अगर मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं किया जाता है तो बैंक ऐसे ग्राहकों से चार्ज वसूलता है। यह नियम अब ग्राहकों पर लागू नहीं होगा। अगर ग्राहक मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं करते हैं तो उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
यह नया नियम 1 जून 2025 से लागू हो गया है। यह बड़ा फैसला सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक केनरा ने लिया है। इससे इस बैंक में खाता रखने वाले ग्राहकों को राहत मिली है।
सैलरी अकाउंट, सेविंग अकाउंट, एनआरआई अकाउंट के लिए मिनिमम बैलेंस की कोई अनिवार्यता नहीं है। साथ ही बैंक ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया है कि इस पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा। अगर बैंक अकाउंट में जमा राशि मिनिमम अमाउंट से कम है तो अकाउंट होल्डर पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।
अगर आपका केनरा बैंक में खाता है तो आपको अपने खाते में जीरो बैलेंस बनाए रखने के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। इससे लाखों ग्राहकों, वरिष्ठ नागरिकों और छात्रों को बड़ी राहत मिली है।
अगर आपका किसी दूसरे बैंक में खाता है तो आपको मिनिमम बैलेंस बनाए रखना अनिवार्य है। बैंक द्वारा लगाए जाने वाले मिनिमम बैलेंस और चार्ज ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग होते हैं। इसलिए, आप अपनी बैंक शाखा से इस बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।