बिहार के 19 जिलों में चल रहे अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच होगी। मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद इन जिलों में अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच करने का निर्णय लिया गया है।
बिहार के 19 जिलों में चल रहे अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच होगी। मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद इन जिलों में अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच करने का निर्णय लिया गया है। इन 19 जिलों में लिंगानुपात (सेक्स रेशियो) कम है। ऐसे में अल्ट्रासाउंड सेंटर जांच के घेरे में हैं।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-20 के अनुसार राज्य के 19 जिलों में एक हजार लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या 900 से भी कम है। ये जिले अररिया, अरवल, औरंगाबाद, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, दरभंगा, गया, कटिहार, लखीसराय, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, नवादा, पश्चिमी चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, समस्तीपुर, सारण, शेखपुरा और सुपौल हैं। माना जा रहा है कि इन जिलों में या तो अवैध रूप से अल्ट्रासाउंड चल रहे हैं या वैध अल्ट्रासाउंड सेंटरों में अवैध कार्यों को अंजाम दिया जा रहा है। लोगों को जन्म के पहले ही लड़का-लड़की होने की जानकारी इन केन्द्रों से मिल जा रही है। ऐसे में इन पर नकेल कसाना जरूरी है।
पीसी एंड पीएनडीटी (गर्भधारण पूर्व और प्रसवपूर्व निदान-तकनीक-लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम के तहत पहले सिविल सर्जन को अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच करने का अधिकार दिया गया था। चूंकि वैध-अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच के लिए पुलिस-प्रशासन की जरूरत होती, ऐसे में सिविल सर्जन के स्तर पर इस कार्य को अंजाम देने में परेशानी हो सकती थी। इसलिए पीसी एंड पीएनडीटी अधिनियम के तहत जिलाधिकारी को ही जिला समुचित प्राधिकार का जिम्मा दे दिया गया।
इसी के आलोक में मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत और स्वास्थ्य सचिव सह राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह के साथ उपरोक्त 19 जिलों के जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से समीक्षा बैठक की। इसमें तय हुआ कि इन 19 जिलों में चल रहे सभी अल्ट्रासाउंड सेंटरों की जांच की जाए।