ATM withdrawal Limits : एटीएम से पैसे निकालने की सीमा, खाते में न्यूनतम बैलेंस और अन्य शुल्कों में बदलाव हुए हैं। आइए इन बदलावों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बैंकिंग सेक्टर में इस महीने कुछ अहम बदलाव हुए हैं, जिनके बारे में आपको जानकारी होना जरूरी है। इन बदलावों का असर आपके वित्तीय लेन-देन पर पड़ सकता है। एटीएम से पैसे निकालने की सीमा, अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस और दूसरे चार्ज में बदलाव हुए हैं। आइए जानते हैं इन बदलावों के बारे में विस्तार से।
न्यूनतम बैलेंस की नई सीमा-(New minimum balance limit)
कुछ बैंकों ने अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने के नियमों में बदलाव किया है। एसबीआई खाताधारकों को अब अकाउंट में न्यूनतम 5000 रुपये रखने होंगे। पहले यह सीमा 3000 रुपये थी। पंजाब नेशनल बैंक ने यह सीमा 1000 रुपये से बढ़ाकर 3500 रुपये कर दी है, जबकि केनरा बैंक में न्यूनतम राशि 1000 रुपये से बढ़ाकर 2,500 रुपये कर दी गई है। न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माना लगेगा।
ATM से पैसे निकालने की नई सीमा: -(New limit for withdrawing money from ATM)
इस महीने से ATM से पैसे निकालने के नियम भी बदल गए हैं। मेट्रो शहरों में आप महीने में 3 बार ATM से पैसे निकाल सकते हैं। इसके बाद हर ट्रांजैक्शन पर 25 रुपये लगेंगे, जो पहले 20 रुपये थे। अगर आप किसी दूसरे बैंक के ATM से पैसे निकालते हैं तो आपको 30 रुपये देने होंगे। नॉन मेट्रो शहरों में यह सीमा 5 बार है।
जमा शुल्क-(Deposit Fees)
कोटक महिंद्रा बैंक ने अपने 811 बचत खाते के नियमों में बदलाव किया है। अब अगर आप एक महीने में 10,000 रुपये से ज़्यादा जमा करते हैं, तो हर 1,000 रुपये पर 5 रुपये का शुल्क लगेगा। ATM डिक्लाइन शुल्क अब सिर्फ़ नॉन-कोटक ATM पर ही लागू होगा (25 रुपये)। स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन फेलियर शुल्क 200 रुपये से घटाकर 100 रुपये कर दिया गया है।
IDFC फर्स्ट क्रेडिट कार्ड-(IDFC First Credit Card)
IDFC फर्स्ट क्रेडिट कार्ड में 20 फरवरी से कई बदलाव होंगे। स्टेटमेंट की तारीखें बदली जाएंगी और CRED और PayTM जैसे प्लैटफ़ॉर्म के ज़रिए किए जाने वाले एजुकेशन पेमेंट पर नए शुल्क लागू होंगे। साथ ही, अब 199 रुपये + लागू कर का कार्ड रिप्लेसमेंट शुल्क लिया जाएगा।
ब्याज दरों पर नज़र रखें-(Keep an eye on interest rates)
भारतीय रिजर्व बैंक ने पांच साल बाद रेपो रेट में कटौती की है। इससे बैंक लोन सस्ता कर सकते हैं। इसके साथ ही फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर में भी बदलाव की संभावना है। रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को पैसा उधार देता है। जब केंद्रीय बैंक इस दर को घटाता है तो बैंकों को कम लागत पर पैसा मिलता है। हालांकि, इससे डिपॉजिट रेट भी कम हो जाता है, क्योंकि बैंकों को पैसा आकर्षित करने के लिए ज्यादा रिटर्न देने की जरूरत नहीं होती।
बैंकिंग नियमों में ये बदलाव आपके लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, अपने वित्तीय लेन-देन पर किसी भी नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए इन बदलावों के बारे में जागरूक होना ज़रूरी है।