एक विवाहित पति अपनी पत्नी को घर का किराया देकर 1.80 लाख रुपए तक टैक्स बचा सकता है। इसके लिए रेंट एग्रीमेंट और किराए की रसीद की जरूरत होती है। HRA क्लेम करने के लिए नियमों का पालन करना होगा।
चालू वित्त वर्ष के आखिरी दो महीने बचे हैं। ऐसे में करदाताओं के बीच टैक्स बचत को लेकर चर्चा हो रही है। टैक्स बचाने के कई तरीके खोजे जा रहे हैं। इनमें से एक तरीका शादीशुदा लोग भी अपना सकते हैं। इसके मुताबिक, अपनी पत्नी को घर का किराया देकर वे एक लाख 80 हजार रुपये तक की रकम पर टैक्स बचा सकते हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
शादीशुदा जोड़े में अगर पति नौकरीपेशा है और घर पत्नी के नाम पर है तो पत्नी किराया देकर टैक्स बचा सकती है। इस तरह एक लाख 80 हजार रुपए तक की रकम पर टैक्स बचाया जा सकता है। आइए जानते हैं इसके लिए क्या करना होगा।
आपको अपनी पत्नी के साथ एक आधिकारिक रेंट एग्रीमेंट बनाना होगा। इसमें किराए की रकम और नियम व शर्तें बताई जानी चाहिए। आपको बैंक ट्रांसफर, चेक या रसीद के जरिए किराए का भुगतान करना चाहिए और उसका सबूत भी जमा करना चाहिए। क्योंकि HRA (हाउस रेंट अलाउंस) क्लेम करने के लिए किराए की रसीद की जरूरत होती है।
यदि मासिक आय एक लाख रुपये है और उसमें बीस हजार रुपये एचआरए है और आप अपनी पत्नी को 25 हजार रुपये मासिक मकान किराया दे रहे हैं, तो वार्षिक एचआरए 2,40,000 रुपये होगा और वार्षिक किराया भुगतान 3,00,000 रुपये होगा।
मूल वेतन का 10 प्रतिशत 1,20,000 रुपये होगा। महानगरों में 1,80,000 रुपये तक का एचआरए कर मुक्त दावा किया जा सकता है। इस लाभ को नियमानुसार किराया समझौते और रसीद के माध्यम से प्रमाणित किया जाना चाहिए।
HRA की गणना कैसे की जाती है?
- नियोक्ता से प्राप्त HRA
- मेट्रो शहरों में मकान किराए का 50 प्रतिशत या गैर-मेट्रो शहरों में 40 प्रतिशत
- मकान किराए से मूल वेतन का 10 प्रतिशत घटाने के बाद बची हुई राशि
बेशक, यदि पति इस तरह से कर बचत का दावा करने जा रहा है, तो पत्नी को अपने आयकर रिटर्न में मकान किराए से प्राप्त आय को दिखाना होगा।