Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर सात चरणों में चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में चुनाव कराने का ऐलान किया है।
ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या मतदान के दिनों में छुट्टी लेने पर पैसे कटते हैं? आइए जानें कि कर्मचारियों के लिए मतदान के दिन छुट्टी लेने पर क्या प्रावधान है।
भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु का प्रत्येक व्यक्ति वोट देने का हकदार है। वह चुनाव वाले दिन वोट देने के संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करता है। संविधान के अनुसार, किसी नागरिक को मतदान के अधिकार का प्रयोग करने से वंचित नहीं किया जा सकता है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, प्रत्येक उद्यम को उस क्षेत्र में मतदान के दिन छुट्टी घोषित करनी होगी, जहां मतदान हो रहा है। अधिनियम के अनुसार, मतदान के दिन किसी कर्मचारी को सवैतनिक अवकाश यानी पेड लीव दिया जाना चाहिए और उस दिन का उसका वेतन नहीं काटा जा सकता है।
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कर्मचारियों को चुनाव वाले दिन मिलता है पेड लीव
भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड, ऋषि सहगल का कहना कि यह प्रावधान सार्वजनिक और निजी दोनों संगठनों पर लागू होता है। कानून के मुताबिक दैनिक वेतन भोगी मजदूरों और कैजुअल कर्मचारियों को भी सवैतनिक अवकाश दी जानी चाहिए। इसके अलावा, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह नियम उन कर्मचारियों पर भी लागू होता है जो आम तौर पर उस निर्वाचन क्षेत्र के निवासी हैं जहां चुनाव हो रहा है। उदाहरण के लिए, यदि कोई मतदाता मुंबई से है लेकिन चेन्नई में कार्यरत है तो मतदाता मुंबई में चुनाव के दिन छुट्टी का हकदार है।
छुट्टी न मिलने पर क्या है मतदाता का अधिकार?
यदि कोई कंपनी या संस्थान मतदान के दिन पेड लीव नहीं देता है तो कर्मचारी चुनाव आयोग या उसके द्वारा नामित प्राधिकारी से संपर्क कर सकता है। इस तरह की परिस्थिति का सामना करने वाले कर्मचारी भारत के चुनाव आयोग या राज्य चुनाव आयोग से इसकी रिपोर्ट कर सकते हैं। चुनाव आयोग को शिकायत मिलने कंपनी या संस्थान जांच के दायरे में आ जाएंगे। नियम के अनुसार उल्लंघनकर्ता पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। मामले के आधार पर, चुनाव आयोग सार्वजनिक प्राधिकरण के आदेश का उल्लंघन करने के लिए भारतीय दंड संहिता के तहत एफआईआर भी दर्ज कर सकता है।