वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि 2000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर 18% जीएसटी लगाने की कोई योजना नहीं है। सरकार यूपीआई लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए योजनाओं पर काम कर रही है।
वित्त मंत्रालय ने 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर 18% जीएसटी लगाने की खबरों का स्पष्ट रूप से खंडन किया है। पिछले कुछ दिनों में, विभिन्न मीडिया आउटलेट्स में यह खबर चल रही थी कि 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाया जाएगा।
लेकिन अब सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐसी कोई योजना नहीं है। वित्त मंत्रालय ने आधिकारिक स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि सरकार की यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने की कोई योजना नहीं है।
इसके विपरीत, सरकार द्वारा यूपीआई लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की जा रही हैं। ये उपाय छोटे मूल्य के डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए लागू किए जा रहे हैं।
वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) UPI या P2M (पर्सन टू मर्चेंट) लेनदेन पर लागू नहीं है। 2020 से CBDT ने UPI लेनदेन से यह शुल्क हटा दिया है, इसलिए ऐसे लेनदेन पर GST लागू नहीं है।
जीएसटी केवल क्रेडिट कार्ड जैसे उपकरणों के माध्यम से किए गए लेनदेन पर लगाए गए एमडीआर पर लगाया जाता है। इसलिए, आम नागरिक को यूपीआई के माध्यम से खरीदारी या पैसे ट्रांसफर करते समय कोई अतिरिक्त कर नहीं देना होगा।
सरकार ने नागरिकों से अपील की है कि वे ऐसी अफवाहों पर ध्यान न दें। सरकार का स्पष्ट इरादा डिजिटल भुगतान प्रणाली को मजबूत करना है और इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि किसी भी तरह की वित्तीय बाधा उत्पन्न न हो।
सरकार ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि यूपीआई ट्रांजेक्शन पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा। इसलिए उसने ग्राहकों से अपील की है कि वे बिना किसी झिझक के डिजिटल ट्रांजेक्शन करते रहें। साथ ही कहा है कि वे ऐसी किसी अफवाह पर विश्वास न करें।
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