Sukanya Samriddhi Yojana(SSY): अगर आप भी अपनी लाडली की भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana) में निवेश करते हैं तो यह खबर आपके काम की है. सरकार की तरफ से समय-समय पर इससे जुड़े नियमों में बदलाव किया जाता है. इसके अलावा हर तिमाही इसकी ब्याज दर की भी समीक्षा की जाती है. इन सभी के बारे में आपको अपडेट रहना जरूरी होता है.
Sukanya Samriddhi Yojana: जून में खत्म होने वाली तिमाही पर सरकार की तरफ से ब्याज दर को लेकर समीक्षा की जाएगी. हालांकि इस बार ब्याज दर में किसी प्रकार के बदलाव की उम्मीद कम है. सरकार की तरफ से संचालित की जाने इस योजना के तहत निवेश करने पर 8.2 प्रतिशत सालाना का ब्याज मिलता है. इसमें निवेश पर आपको सेक्शन 80C के तहत आयकर से भी छूट मिलती है. आइए जानते हैं पिछले कुछ सालों में SSY में हुए 5 बड़े बदलावों के बारे में.
सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) के नियमों के तहत खाते में गलत ब्याज जमा होने पर उसे वापस पलटने के प्रावधान को हटाया गया है. इसके अलावा खाते का सालाना ब्याज हर वित्त वर्ष के अंत में क्रेडिट किया जाएगा. पहले यह तिमाही आधार पर खाते में क्रेडिट किया जाता था.
पहले के नियमों के तहत बिटिया 10 साल की उम्र में खाते को ऑपरेट कर सकती थी. लेकिन नए नियमों के तहत इसमें बदलाव किया गया है. नए नियमों के तहत अब 18 साल की उम्र से पहले बेटियों को सुकन्या समृद्धि का खाता ऑपरेट करने की मंजूरी नहीं है. 18 साल की उम्र तक अभिभावक ही अकाउंट को ऑपरेट करेंगे.
सुकन्या समृद्धि योजना अकाउंट में सालाना कम से कम 250 रुपये और अधिकतम डेढ़ लाख रुपये जमा करने का नियम है. यदि आपने न्यूनतम राशि जमा नहीं की तो अकाउंट डिफॉल्ट हो जाता है. अपडेटेड नियम के तहत अकाउंट को दोबारा एक्टिव नहीं कराने पर मैच्योर होने तक अकाउंट में जमा राशि पर लागू दर से ब्याज मिलता रहेगा. जबकि पहले यह नियम नहीं था.
सुकन्या समृद्धि के पहले के नियमों के आधार पर दो बेटियों के अकाउंट पर 80सी के तहत टैक्स छूट का फायदा मिलता था. लेकिन अब यदि आपके तीसरी बेटी है तो उसके जन्म पर भी सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) अकाउंट खोला जा सकता है. इस नियम के तहत पहली बेटी के बाद होने वाली दो जुड़वां बेटियों के लिए अकाउंट खोलने का प्रावधान है. इस तरह कोई व्यक्ति अपनी तीन बेटियों के लिए खाता खुलवा सकता है.
‘सुकन्या समृद्धि योजना’ के खाते को पहले बेटी की मौत या बेटी के रहने का पता बदलने पर बंद किया जा सकता था. लेकिन अब खाताधारक की जानलेवा बीमारी को भी इसमें शामिल किया गया है. अभिभावक की मौत होने पर भी समय से पहले अकाउंट बंद किया जा सकता है.