Home India प्रॉपर्टी रजिस्‍ट्रेशन पर मिलती है 1.5 लाख तक की टैक्‍स छूट

प्रॉपर्टी रजिस्‍ट्रेशन पर मिलती है 1.5 लाख तक की टैक्‍स छूट

नई दिल्‍ली. भारत में प्रॉपर्टी भी निवेश का एक लोकप्रिय साधन है. प्रॉपर्टी की कीमतों में हर साल अचछा-खासा इजाफा हो जाता है. इसलिए बहुत से लोग घर, दुकान या फिर प्‍लाट खरीदते हैं. आयकर अधिनियम, 1960 के प्रावधानों के अनुसार, प्रॉपर्टी के रजिस्‍ट्रेशन के लिए चुकाई गई स्‍टांप ड्यूटी (Stamp Duty) या पंजीकरण शुल्‍क पर भी आप टैक्‍स छूट (Tax Exemption) के हकदार हैं.

आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत स्टांप शुल्क, पंजीकरण शुल्क आदि के भुगतान पर अधिकतम 1.5 लाख रुपये की कटौती का लाभ लिया जा सकता है. सेक्शन 80C के तहत स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज चुकाने वाले लोग घर खरीदने वाले साल में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करते वक्त छूट का क्लेम कर सकते हैं.

भारतीय आयकर अधिनियम , 1961 की धारा 80सी (xviii)(d) में प्रॉपर्टी खरीदने या हस्‍तांतरित करने पर स्‍टांप ड्यूटी और रजिस्‍ट्रेशन फीस जैसे होने वाले खर्चों पर टैक्‍स छूट का लाभ केवल आवासीय संपत्ति पर ही हासिल की जा सकती है, कॉमर्शियल प्रॉपर्टी पर नहीं. इसलिए अगर आप 1.5 लाख तक की कटौती चाहते हैं तो आपको रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदना जरूरी है.

कौन कर सकता है छूट का दावा

स्टाम्प ड्यूटी पर टैक्स छूट का दावा व्यक्तिगत मालिकों, सह-मालिकों या हिंदू अविभाजित परिवारों द्वारा किया जा सकता है. संयुक्त स्वामित्व के मामले में, छूट सह-मालिकों को उनके हिस्से के अनुसार दी जाती है. इसके लिए प्रॉपर्टी का सभी मालिकों के नाम पर पंजीकृत होना और उनके द्वारा स्‍टांप ड्यूटी चुकाई जानी अनिवार्य है. अगर प्रॉपर्टी के हिस्‍सेदारों के अलावा कोई अन्‍य व्‍यक्ति स्टाम्प ड्यूटी चुकाता है, तो फिर टैक्‍स कटौती का लाभ संपत्ति के सह-मालिकों को नहीं मिलेगा.

यह शर्त पूरी करना जरूरी

स्‍टांप ड्यूटी पर टैक्‍स छूट का लाभ उसी वित्‍तीय वर्ष में उठाया जा सकता है, जिस फाइनेंशियल ईयर की आईटीआर फाइल की जा रही है. इसका मतलब है कि आप वित्‍त वर्ष 2023-24 की आईटीआर भरते वक्‍त इसी वित्‍त वर्ष में चुकाई गई स्‍टॉप ड्यूटी पर ही छूट का दावा कर सकते हैं, इससे पिछले वित्‍त वर्ष में खरीदे मकान के लिए नहीं.

कब्‍जा जरूरी

आप केवल उसी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के लिए चुकाई गई स्टाम्प ड्यूटी में छूट का दावा कर सकते हैं जो पहले मालिक के रूप में आपके पास है. यानी प्रॉपर्टी का कब्‍जा आपके पास होना चाहिए. अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी स्टाम्प ड्यूटी टैक्स बेनिफिट्स के लिए योग्य नहीं हैं.

5 साल का लॉक इन पीरियड

जिस प्रॉपर्टी की खरीद के लिए चुकाई स्टाम्प ड्यूटी पर कर छूट (Tax Benefits on Stamp Duty) का फायदा उठाया गया है, उसे पांच साल तक बेचा नहीं जा सकता. अगर कोई इस अवधि से पहले प्रॉपर्टी बेचता है, तो जिस साल छूट का लाभ लिया गया है, उस साल का आईटीआर संशोधित हो जाता है और स्टाम्प ड्यूटी कटौती पर टैक्स लग जाता है.

यह शर्त भी है लागू

स्‍टांप ड्यूटी पर टैक्‍स कटौती के लिए यह भी जरूरी है कि आपने सेक्‍शन 80सी के तहत मिली 1.5 लाख की अधिकतम छूट सीमा को पार न किया हो. इसका मतलब है कि अगर ईपीएफ, पीपीएफ, एससीएसएस, जीवन बीमा पॉलिसी, ईएलएसएस आदि के निवेश पर आपने पहले ही 1.5 लाख तक की छूट ले ली है, तो आप स्‍टांप ड्यूटी पर टैक्‍स छूट का दावा नहीं कर सकते. अगर इन निवेश विकल्‍पों पर कटौती का दावा करने के बाद भी 1.5 लाख से कम छूट आपने हासिल की है, तो आप स्‍टांप ड्यूटी पर भी टैक्‍स कटौती के हकदार हैं.

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