बाजार नियामक सेबी ने ये बदलाव क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों पर गठित एक वर्किंग ग्रुप के सुझावों के आधार पर किए हैं. सेबी ने इस बात की जानकारी दी.
नई दिल्ली. शेयर बाजार नियामक संस्था SEBI ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के लिए अनुपालन समयसीमा को ‘दिनों’ के बजाय ‘कार्य दिवसों’ में पेश करने के साथ टाइम लिमिट में संशोधन कर दिया है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एक सर्कुलर में रेटिंग प्रोसेस और पब्लिशिंग प्रोटोकॉल को मानकीकृत करने के उद्देश्य से सीआरए के लिए नियमों में बदलाव की घोषणा की.
ये बदलाव क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों पर गठित एक कार्यसमूह की अनुशंसाओं के आधार पर किए गए हैं. कार्यसमूह ने मौजूदा समयसीमाओं, खासकर गैर-कार्य दिवसों में पैदा होने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला था.
सेबी ने कहा, ‘‘कारोबारी सुगमता के लिए सीआरए कार्यसमूह की सिफारिशों में से एक समयसीमा निर्दिष्ट करने के दृष्टिकोण में ‘दिनों’ के बजाय ‘कार्य दिवसों’ में संशोधन से संबंधित है.’
पहले क्या थे नियम, अब क्या बदला
संशोधित नियमों के तहत क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को कोई घटना होने के सात कार्य दिवसों के भीतर रेटिंग कार्रवाइयों पर प्रेस विज्ञप्ति जारी करने की जरूरत है जो पहले सात कैलेंडर दिन होती थी. इसी तरह, ऋण सेवा में देरी के मामलों में रेटिंग की समीक्षा के लिए समयसीमा को दो कैलेंडर दिन से दो कार्य दिवसों में समायोजित किया गया है. इसके अलावा सेबी ने चूक न करने वाला ब्योरा यानी ‘एनडीएस’ लगातार तीन महीनों तक पेश न किए जाने पर रेटिंग को ‘जारीकर्ता सहयोग नहीं कर रहा’ के रूप में चिह्नित करने की समयसीमा को सात कैलेंडर दिनों के बजाय पांच कार्यदिवस कर दिया है.
बता दें कि सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, शेयर मार्केट में पारदर्शिता बनाए रखने और निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए समय-समय पर नए दिशा-निर्देश जारी करता है. इसके अलावा, सेबी, शेयर बाजार में गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने वाले ब्रोकर या बड़ी कंपनियों पर जुर्माने की कार्रवाई भी करता है. हाल ही में फ्रंट रनिंग के मामले में सेबी ने कई बड़े निवेशक और ब्रोकर्स पर जुर्माना लगाया है, साथ ही उन पर शेयर मार्केट में काम करने को लेकर प्रतिबंध भी लगा दिया है.