केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने कहा है कि देश में टोल सिस्टम (Toll System) खत्म हो जाएगा। अभी हाईवे का इस्तेमाल करने के लिए टोल चुकाना पड़ता है। हर 100-150 किलोमीटर की दूरी पर टोल स्थित हैं।
टोल के पेमेंट के बाद ही आपको आगे जाने दिया जाता है। जगह-जगह टोल पेमेंट की वजह से काफी समय भी खर्च होता है। ऐसे में टोल सिस्टम खत्म होना उन लोगों के लिए अच्छी खबर है, जो हाईवे का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। सवाल है कि क्या टोल सिस्टम खत्म होने का मतलब यह है कि अब हाईवे इस्तेमाल करने के लिए कोई कीमत नहीं चुकानी होगी? आइए इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
नया टोल कलेक्शन सिस्टम आधुनिक होगा
रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज (MoRTH) मिनिस्टर नितिन गडकरी ने 27 मार्च को न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि सरकार देश में मौजूदा टोल सिस्टम को खत्म करने जा रही है। उन्होंने बताया कि इसकी जगह टोल कलेक्शन के एक आधुनिक सिस्टम का इस्तेमाल होगा। इसका मतलब है कि हाईवे का इस्तेमाल करने के लिए आगे भी पैसे चुकाने होंगे। अंतर सिर्फ यह है कि पैसे चुकाने का तरीका बदल जाएगा। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
टोल प्लाजा पर नहीं रुकना पड़ेगा
सरकार मौजूदा टोल प्लाजा की जगह सैटेलाइट आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम शुरू करने जा रही है। गडकरी ने इस सिस्टम के बारे में कई बातें बताईं। उन्होंने कहा कि हाईवे पर सफर करने पर पैसा बैंक अकाउंट से डिडक्ट हो जाएगा। लोग जितने किलोमीटर सफर करेंगे उतना ही पैसा उन्हें चुकाना होगा। ज्यादा टोल टैक्स की शिकायत के बारे में उन्होंने कहा कि अच्छे हाईवे बनने के बाद लोगों का समय और फ्यूल बच रहा है। उन्होंने मुंबई और पुणे का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि पहले मुंबई से पुणे जाने में 9 घंटे लगते थे। अब सिर्फ 2 घंटे लगते हैं।
पैसा व्हीकल ओनर के अकाउंट से निकल जाएगा
गडकरी ने दिसंबर में कहा था कि नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने देश में मार्च 2024 तक टोल कलेक्शन का नया सिस्टम शुरू करने का प्लान बनाया है। नया सिस्टम जीपीएस टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा। इसका मतलब है कि ड्राइवर को टोल चुकाने के लिए टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ेगा। टोल का पैसा कार मालिक के बैंक अकाउंट से अपने आप निकल जाएगा।
व्हीकल की मॉनिटरिंग के लिए सैटेलाइट का होगा इस्तेमाल
नए सिस्टम के लिए सभी गाड़ियों में नए नंबर प्लेट लगाने होंगे। गाड़ी की मॉनिटरिंग सैटेलाइट के जरिए GPS से होगी। हाईवेज पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडर (ANPR) कैमरे लगाए जाएंगे। वे जीपीएस इनेबल्ड नंबर प्लेट को पढ़ लेंगे। इसके बाद टोल का पैसा सिस्टम व्हीकल मालिक के बैंक अकाउंट से काट लेगा। अभी टोल प्लाजा पर टोल के पेमेंट के लिए फास्टैग का इस्तेमाल होता है।