खुशखबरी : हरियाणा कैबिनेट ने गांवों और ग्रामीण क्षेत्रों में 1 अप्रैल, 2015 से 31 दिसंबर, 2023 तक जमा हुए जल शुल्क पर कुल 37.93 करोड़ रुपये के अधिभार और ब्याज की छूट को मंजूरी दे दी है. “यह निर्णय ग्रामीण परिवारों पर वित्तीय बोझ को कम करने, आवश्यक संसाधनों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सरकार के सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाता है
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई. इस दौरान ग्रामीण परिवारों को राहत देने के उद्देश्य से कैबिनेट ने एक अहम फैसला लिया है. हरियाणा कैबिनेट ने बुधवार को अधिभार और ब्याज सहित बकाया जल शुल्क को माफ करने को मंजूरी दे दी है. ये शुल्क 374.28 करोड़ रुपये है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस फैसले से राज्य भर के ग्रामीण इलाकों में 28.87 लाख जल कनेक्शन धारकों को राहत मिलेगी.
जल शुल्क माफी को दी मंजूरी
सामने आया है कि यह छूट सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग के अंतर्गत आने वाले संस्थागत, वाणिज्यिक या औद्योगिक उपभोक्ताओं तक लागू नहीं है. कैबिनेट ने गांवों और ग्रामीण क्षेत्रों के सभी प्रकार के उपभोक्ताओं के लिए 1 अप्रैल 2015 से 31 दिसंबर 2022 तक जमा 336.35 करोड़ रुपये की जल शुल्क माफी को मंजूरी दे दी है. इसमें सामान्य वर्ग के साथ-साथ अनुसूचित जाति वर्ग भी शामिल हैं.”
इसके अलावा, कैबिनेट ने गांवों और ग्रामीण क्षेत्रों में 1 अप्रैल, 2015 से 31 दिसंबर, 2023 तक जमा हुए जल शुल्क पर कुल 37.93 करोड़ रुपये के अधिभार और ब्याज की छूट को मंजूरी दे दी है. “यह निर्णय ग्रामीण परिवारों पर वित्तीय बोझ को कम करने, आवश्यक संसाधनों तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सरकार के सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाता है.”
एक अन्य फैसले में कैबिनेट ने राज्य में इको-टूरिज्म के विकास की नीति को मंजूरी दे दी. इस नीति का उद्देश्य राज्य की समृद्ध जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र, विरासत स्मारकों और सांस्कृतिक विविधता का दोहन करना है. खट्टर ने कहा, यह पहल हरियाणा को एक प्रमुख इको-पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो प्रकृति, संस्कृति और सामुदायिक जुड़ाव का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण पेश करता है.
यह नीति पारंपरिक पारिस्थितिक ज्ञान और हरियाणा के जंगल के विरासत मूल्यों को बढ़ावा देते हुए हरियाणा की मौजूदा जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र, विरासत स्मारकों, संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी. इसके तहत प्रकृति से जुड़े पर्यटन को बढ़ावा देने, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और स्वदेशी सामग्रियों के स्थायी उपयोग को बढ़ावा देने के अवसर प्रदान करती है और समग्र पर्यावरण-पर्यटन के लिए स्थानीय समुदायों, गैर सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, निजी उद्यमों और विभिन्न सरकारी विभागों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करती है. विकास से ऐसे समुदायों को ‘आत्मनिर्भर’ बनने में मदद मिलेगी.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में परिवहन विभाग की प्रवर्तन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए हरियाणा मोटर वाहन नियम 1993 के नियम 225 के तहत परिवहन निरीक्षकों को चालान करने की शक्तियां प्रदान करने की मंजूरी दी गई.
वर्तमान में राज्य में परिवहन निरीक्षकों के 114 पद हैं, परिवहन विभाग में मुख्य रूप से 66 अधिकारियों को पहले ही प्रवर्तन ड्यूटी पर तैनात किया गया है. ये प्रवर्तन अधिकारी 22 डीटीओ-सह-सचिव आरटीए, 22 मोटर वाहन अधिकारी (प्रवर्तन) और 7 सहायक सचिव स्तर तक के अधिकारी से अतिरिक्त होंगे .
राज्य भर में विस्तारित प्रवर्तन क्षमताओं की अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल ने हरियाणा मोटर वाहन नियम 1993 के नियम 225 के तहत इन ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर को चालान करने की शक्तियों के विस्तार को मंजूरी दी है.
इस रणनीतिक निर्णय का उद्देश्य परिवहन विभाग के अन्दर प्रवर्तन प्रक्रियाओं को और मजबूत करना है, जिससे पूरे राज्य में मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों का अधिक प्रभावी ढंग से पालन सुनिश्चित हो सके. ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर अब चालान जारी करने के अधिकार का प्रयोग कर सकेगें, यदि संबंधित डीटीओ-सह-सचिव आरटीए द्वारा दिशा-निर्देश जारी किये गए हों और परिवहन आयुक्त से पूर्व अनुमोदन किया हो.
इस प्रकार अतिरिक्त अधिकारियों को चालान की शक्तियां देकर, हरियाणा सरकार मोटर वाहन अधिनियम का बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगी, इससे राज्य भर में सुरक्षित और अधिक विनियमित परिवहन सेवाओं में सहयोग मिलेगा.
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