Chirag Paswan Modi Cabinet: लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने पिता रामविलास पासवान के “असली” राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है. रविवार को सबको चौंकाते हुए चिराग को नरेन्द्र मोदी सरकार में शामिल किया गया और इसके साथ ही राजनीति के दंगल में उनकी जोरदार वापसी हुई. खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘‘हनुमान’’ बताने वाले चिराग पासवान केंद्र में अब मंत्री के रूप में अपनी नयी पारी शुरू करने जा रहे हैं.
अपने पिता के असल वारिस हैं चिराग..
उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल (यू)को झटका देने के बाद चिराग ने इस बार आम चुनाव में राजग के कोटे से अपनी पार्टी के लिए पांच सीटें हासिल कर यह जता दिया कि वह सियासत की बिसात पर गोटियां बिछाने के मामले में अपने पिता के असल वारिस हैं. पिता के मार्गदर्शन में चिराग ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की थी.
मुश्किलों का सामना करना पड़ा..
उन्हें राजनीति में प्रवेश करने में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा. चिराग का राजनीति में प्रवेश 2012 में हुआ जब उन्हें लोजपा में संसदीय बोर्ड का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया. वह पहली बार 2014 में बिहार के जमुई लोकसभा सीट से चुने गए. 2019 में भी वह इसी सीट से चुने गए. ‘‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’’ के मिशन को लेकर आगे बढ़ रहे लोजपा (आरवी) अध्यक्ष चिराग को 2020 में अपने पिता के निधन के बाद पारिवारिक एवं राजनीतिक दोनों स्तर पर मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
बिहार में पांच सीटों पर मिली जीत
पार्टी के छह में से पांच सांसदों ने अलग गुट बना लिया जिसका नेतृत्व उनके चाचा पशुपति पारस ने किया. लेकिन चिराग ने संयम के साथ परिपक्वता का भी प्रदर्शन किया और उसका फल उन्हें 2024 के संसदीय चुनाव में मिला जब भारतीय जनता पार्टी नीत गठबंधन राजग के तहत उन्हें बिहार में कुल पांच सीट मिलीं. चार जून को घोषित लोकसभा चुनाव परिणाम में चिराग ने हाजीपुर सीट अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के शिवचंद्र राम को एक लाख 70 हजार से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया.
नीतीश की नीतियों के खिलाफ उठाई आवाज
इसी के साथ अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को बाकी चारा सीट पर जीताने में भी कामयाब रहे . 31 अक्टूबर 1982 जन्मे चिराग ने कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की है और अभिनय की दुनिया में भी हाथ आजमाया, लेकिन फिल्मी दुनिया में कोई खास सफलता नहीं मिलने पर बाद में वह पूर्णकालिक रूप से राजनीति में उतर आये . चिराग अपने गृह प्रदेश बिहार में एक तबके के बीच खासे लोकप्रिय हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए उन्होंने ‘‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’’ की बात की. इसके तहत उन्होंने रोजगार व पढ़ाई आदि के लिए बिहार से लोगों के पलायन को भी मुद्दा बनाया.
प्रधानमंत्री मोदी के ‘‘हनुमान’’
उन्होंने 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के 136 उम्मीदवारों को मैदान में उतरा और 25 लाख वोट (छह प्रतिशत) हासिल कर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा. उनकी पार्टी को हालांकि अपेक्षित सीट नहीं मिलीं लेकिन इसका असर नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) पर हुआ जिसकी सीटों की संख्या कम हो गई. विधानसभा चुनाव के दौरान ही चिराग ने यह कहकर राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया था कि वह प्रधानमंत्री मोदी के ‘‘हनुमान’’ हैं.
बिहार में आशीर्वाद यात्रा
चिराग ने नीतीश कुमार की नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए 2021 में बिहार में आशीर्वाद यात्रा की और आम लोगों एवं कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क किया. इससे लोगों के बीच उनकी एक अलग छवि बनी. भाजपा के साथ 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव जीतने वाले जद (यू) ने अगस्त 2022 में लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल के साथ यह कहकर सरकार बना ली थी कि भाजपा की शह पर चिराग पासवान की लोजपा ने जद (यू) को नुकसान पहुंचा कर कमजोर करने का प्रयास किया.
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