पेंशन नियामक पीएफआरडीए ने राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) का खाता खोलने की सुविधा देने वाले केंद्रों (POP) के शुल्क ढांचे में बदलाव किया है। इन केंद्रों द्वारा दी जाने वाली विभिन्न सुविधाओं के शुल्क की न्यूनतम और अधिकतम सीमा तय कर दी गई है। पहले इन केंद्रों को एनपीएस सदस्यों से मोलभाव करने की छूट थी।
पीएफआरडीए ने शुल्क में किए गए बदलाव का सर्कुलर जारी कर दिया है। दरअसल, ग्राहक के लिए एनपीएस खाता खुलवाने और उसे संचालित करने में आसानी हो, इसकी जिम्मेदारी प्वाइंट ऑफ प्रजेंस (पीओपी) को दी जाती है। इनका चयन नियामक खुद करता है। पीओपी का एक पूरा ब्रांच नेटवर्क होता है। पीओपी ग्राहक और एनपीएस के बीच अहम कड़ी है। ये केंद्र ग्राहक को सेवाएं देने के बदले कुछ शुल्क लेते हैं।
पीओपी में कौन-कौन शामिल
पेंशन नियामक पीएफआरडीए की ओर से पीओपी के रूप में बैंकों, एनबीएफसी और अन्य वित्तीय इकाइयां को चुना जाता है। यह एनपीएस में लोगों का पंजीकरण करते हैं और सदस्यों को और भी कई सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। नया खाता खोलने पर पीओपी को कमीशन भी मिलती है।
इसलिए हुआ शुल्क में बदलाव
एनपीएस सेवा प्रदाता पीओपी केंद्र, जो शुल्क लेंगे, बदलाव उसी में किया गया है। पहले पीओपी जो शुल्क लेते थे, उसकी कोई सीमा नहीं होती थी। इसके लिए ग्राहक इनसे मोलभाव करते थे। अब सीमा तय कर दी गई है। हालांकि, कुछ मामलों में ग्राहक पहले की तरह मोलभाव कर सकेंगे।
कितना देना होगा शुल्क
1. अगर कोई व्यक्ति एनपीएस में शुरुआती रजिस्ट्रेशन कराता है तो उसे पीओपी को 200 से 400 रुपये तक देने होंगे।
2. इसी तरह शुरुआती कंट्रीब्यूशन पर 0.50 फीसदी तक शुल्क देना होगा। यह न्यूनतम 30 रुपये और अधिकतम 25 हजार रुपये के बीच में रहेगा।
3. सभी गैर-वित्तीय लेनदेन के लिए 30 रुपये शुल्क निर्धारित कर दिया गया है।
क्या है एनपीएस
राष्ट्रीय पेंशन योजना केंद्र सरकार द्वारा एक सामाजिक सुरक्षा पहल है। इसे 2004 में सरकारी कर्मचारियों के लिए शुरू किया गया था लेकिन 2009 में इसे सभी वर्गों के लिए खोल दिया गया। राष्ट्रीय पेंशन योजना सेवानिवृत्ति के लिए एक स्वैच्छिक और लंबी अवधि की निवेश योजना है। 60 साल की उम्र पूरी होने के बाद सदस्य को रकम का एक हिस्सा मिल जाता है और दूसरे हिस्से से पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है। लगभग सभी बैंक एनपीएस की सुविधा देते हैं।