बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने शासनकाल में राज्य में हुए बदलावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षा स्वास्थ्य कानून-व्यवस्था और आवागमन सहित सभी क्षेत्रों में बेहतरी के लिए काम किया गया है। नियोजित शिक्षकों को सरकारी शिक्षक बनाने के लिए 5 मौके दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि 2005 से पहले राज्य में चलने के लिए सड़कें तक नहीं थी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने कहा कि उनके शासनकाल में राज्य में हर क्षेत्र में बड़ा बदलाव आया है। वर्ष 2005 के नवंबर में जब हमलोग सरकार में आए, तब से शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था, आवागमन सहित सभी क्षेत्रों में बेहतरी के लिए काम किया जा रहा है। वे बुधवार को यहां आयोजित शिक्षकों के नियुक्ति वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि पहले शाम में कोई घर से बाहर नहीं निकलता था, कहीं-कोई रास्ता नहीं बना हुआ था। हम सांसद थे। केंद्र में मंत्री थे। उस समय अपने इलाके में घूमते थे। पैदल ही चलना पड़ता था, लेकिन अब आवागमन काफी सुलभ हो गया है।
हम चाहते हैं कि प्रदेश के सभी नियोजित शिक्षक जल्द सरकारी शिक्षक बन जाएं: माननीय मुख्यमंत्री श्री @NitishKumar जी#RojgarMatlabNitishSarkar #TeachersRecruitment#JDU #NitishKumar #Bihar #NitishModel pic.twitter.com/xNUbCLb3sN
— Janata Dal (United) (@Jduonline) November 20, 2024
नियोजित शिक्षकों पर क्या बोले मुख्यमंत्री?
उन्होंने कहा कि कि पूर्व में शिक्षकों की अत्यधिक कमी होने के कारण वर्ष 2006-07 से पंचायत एवं नगरनिकायों के माध्यम से बड़े पैमाने पर नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति की गयी, जिनकी कुल संख्या लगभग तीन लाख 67 हजार 143 है। वर्ष 2023 में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) से नए शिक्षकों की नियुक्ति शुरू की गई, जिसमें 28 हजार नियोजित शिक्षक सरकारी शिक्षक हो गए। बचे हुए नियोजित शिक्षक सरकारी शिक्षक बनने की मांग कर रहे थे। वर्ष 2023 में ही तय कर दिया गया कि अलग से एक मामूली परीक्षा लेकर नियोजित शिक्षकों को सरकारी शिक्षक बनने का अवसर दिया जाएगा। इसके लिए 5 मौके दिए जाएंगे।
‘सर्वप्रथम शिक्षा पर ध्यान दिया’
मुख्यमंत्री ने कहा वर्ष 2005 से ही हम राज्य के विकास में लगे हुए हैं। सर्वप्रथम शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया गया है। पहले पढ़ाई नहीं होती थी। स्कूलों और शिक्षकों की कमी थी। अनेक नए स्कूल खोले गए। नए क्लास रूम बनाए गए। वर्ष 2006-07 में लड़के और लड़कियों के लिए पोशाक योजना शुरू की गई। वर्ष 2008 में 9 वीं क्लास की लड़कियों को विद्यालय जाने के लिए साइकिल योजना चलायी गई। 2010 से लड़कों को भी साइकिल दी जाने लगी।
उन्होंने कहा कि बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सभी पंचायतों में उच्च माध्यमिक विद्यालय (10 2 स्कूल) खोले गए। लड़कियों को बारहवीं पास करने पर पहले 10 हजार मिलते थे, जिसे बढाकर अब 25 हजार रुपये कर दिया गया है, वहीं ग्रेजुएट होने पर 25 हजार से बढाकर अब 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। अब लड़कियां भी खूब पढ़ रही हैं। स्कूलों में लड़के और लड़कियों की संख्या लगभग बराबर हो गयी है।
कार्यक्रम के दौरान नियुक्ति पत्र प्राप्त करनेवाली एक विशिष्ट शिक्षिका ने मुख्यमंत्री को उनकी बनाई गई तस्वीर भेंट की। कार्यक्रम को उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, जल संसाधन सह संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, ऊर्जा सह योजना एवं विकास मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव, शिक्षा मंत्री सुनील कुमार एवं शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने भी संबोधित किया।शिक्षा विभाग के सचिव वैद्यनाथ यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
ये सब भी उपस्थित थे
समारोह में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सचिव अनुपम कुमार, भवन निर्माण विभाग के सचिव कुमार रवि, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, पटना प्रमंडल के आयुक्त मयंक बरबड़े शिक्षा विभाग के अन्य वरीय अधिकारीगण उपस्थित थे।
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