कृषि प्रधान राज्य बिहार में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। राज्य सरकार ने भी निवेश की प्राथमिकता सूची में इस क्षेत्र को ऊपर रखा है। इसलिए इस क्षेत्र की अपनी अलग नीति की जरूरत है।
बिहार के किसानों और उद्यमियों के लिए खुशखबरी है। बिहार की अपनी खाद्य प्रसंस्करण नीति जल्द लागू होगी। नीति का मसौदा बनकर तैयार है। जल्द ही इस पर कैबिनेट की स्वीकृति ली जाएगी। नीति लागू होने के बाद राज्य के खाद्य उत्पादों के विदेशों में निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी। हर थाली में बिहारी उत्पाद पहुंचाने का सपना पूरा होगा। किसानों को फसलों के ज्यादा दाम मिलेंगे तो निवेशकों को उद्यम लगाने के लिए सरकार की ओर से अनुदान मिलेगा। इसी के तहत पहल करते हुए उद्योग विभाग ने सोमवार को राजधानी में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के निवेशकों का एक सम्मेलन बुलाया है। नीति के संबंध में निवेशकों से राय ली जाएगी। उनके उचित सुझाव नीति में शामिल किए जाएंगे। मुख्य सचिव स्तर पर भी इस संबंध में बैठक हो चुकी है।
वर्तमान में राज्य में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के निवेशकों को औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति और प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग योजना(पीएमएफएमई) के तहत अनुदान दिया जा रहा है। कृषि प्रधान राज्य बिहार में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। राज्य सरकार ने भी निवेश की प्राथमिकता सूची में इस क्षेत्र को ऊपर रखा है। इसलिए इस क्षेत्र की अपनी अलग नीति की जरूरत है। इसी को देखते हुए राज्य उद्योग विभाग ने खाद्य प्रसंस्करण नीति-2024 का मसौदा तैयार किया है। राज्य के सभी जिले में कोई न कोई खास उत्पाद पैदा होते हैं। हरेक जिले में एक उत्पाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।
निर्यात को मिलेगा बढ़ावा
नीति लागू होने के बाद राज्य में फूड पार्क को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए मुजफ्फरपुर में 140 एकड़ में मेगा फूड पार्क बन रहा है। पटना के बिहटा में ड्राई पोर्ट और ई रेडिएशन सेंटर खुल गया है। रेडिएशन तकनीक से मांस-मछली सहित अन्य उत्पादों की भी प्रोसेसिंग होगी। ड्राईपोर्ट और पैक हाउस खुलने से विदेशों के बाजार तक खाद्य वस्तुएं और अन्य उत्पाद भेजे जा सकते हैं। जीआई टैग वाले उत्पाद जर्दालु आम, शाही लीची, सिलाव का खाजा, कतरनी एवं मर्चा चावल, मखाना को अधिक समय तक सुरक्षित रखा जाएगा।
क्या कहते हैं मंत्री?
कृषि प्रधान राज्य बिहार में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए अलग नीति की जरूरत है। इससे निवेशकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। मंत्रिपरिषद की स्वीकृति के बाद ही इसे लागू किया जाएगा। – नीतीश मिश्रा, उद्योग सह पर्यटन मंत्री, बिहार सरकार।
इन उत्पादों में अव्वल है बिहार
बिहार फल, सब्जी सहित अन्य कई फसलों के उत्पादन में अहम स्थान रखता है। मखाना का 90 फीसदी उत्पादन बिहार में ही होता है। लीची, शहद, आलू, मक्का के उत्पादन में भी बिहार प्रमुख स्थान रखता है। आम का तीसरा बड़ा उत्पादक है। सब्जियों का चौथा बड़ा उत्पादक है। शहद, दूध, मछली और अंडा का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है।
बावजूद इनका प्रसंस्करण दूसरे राज्यों में होकर वहां से पैकेज्ड फूड के रूप में बिहार के बाजारों में आ रहा है। प्रसंस्करण इकाई यहीं खुलने से उपभोक्तओं को भी सस्ते उत्पाद मिलेंगे।
राज्य में कृषि, बागवानी, पशुपालन, मत्स्यपालन से जुड़े लोगों को सीधा फायदा। उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उनके उत्पादों की मांग बढ़ेगी। इससे उत्पाद के ज्यादा दाम मिलेंगे। फल-फूलों की खेती, डेयरी, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, पशुपालन, मक्का, फल, सब्जी, शहद, दलहन, तेलहन, मसाला, बेकरी, मांस-मछली, अंडा उत्पादन और उसके निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
राजधानी में आज जुटेंगे खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के निवेशक
राजधानी में सोमवार को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के निवेशक जुटेंगे। बिहार में निवेश के अवसर तलाशेंगे। इसके लिए देश के कई बड़े निवेशकों को आमंत्रित किया गया है। बिहार सरकार उद्योग विभाग की ओर से आयोजित निवेशक सम्मेलन के मुख्य अतिथि केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान होंगे। राज्य के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा और विभाग के अन्य वरीय अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। इस मौके पर उद्योग विभाग राज्य में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की संभावनाओं की जानकारी देगा। उद्योग के अनुकूल नीतियों, पहलों, और राज्य में मौजूद अवसरों से अवगत कराया जाएगा।