वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे पत्र में AIBOC और AIBEA ने तर्क दिया है कि RBI का प्रमुख बैंकों के साथ विलय करके बैंकिंग क्षेत्र को बेहतर और मजबूत बनाया जा सकता है।
Merger of Regional Rural Banks: बैंक यूनियनों ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) का उनके मुख्य बैंकों के साथ विलय करने की मांग की है। इस संबंध में दो बैंक यूनियनों AIBOC और AIBEA ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है। इस पत्र में मांग की गई है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) का उनके संबंधित प्रायोजक बैंकों के साथ विलय किया जाए। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया है कि इससे पूरा बैंकिंग क्षेत्र बेहतर और मजबूत होगा। अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए बैंक यूनियनों का कहना है कि दो तरह के नियंत्रण वाले क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का उनके मुख्य बैंकों (Sponsor Banks) के साथ विलय किया जाना चाहिए।
43 आरआरबी (RBI) में तकनीक को अपग्रेड करने का काम चल रहा है
बैंक यूनियनों का कहना है कि ऐसा करने से ग्रामीण बैंक मुख्य बैंकों की तरह सामान्य रूप से काम करेंगे। वित्त मंत्री को लिखे पत्र में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RBI) से कहा गया है कि वे अपने मुख्य बैंकों (Sponsor Banks) की तरह नई तकनीक अपनाएं। इस काम को जल्दी पूरा करने के लिए सभी 43 आरआरबी में तकनीक को अपग्रेड करने का काम भी चल रहा है। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOC) और ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (AIBOC) का कहना है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को उनके मुख्य बैंकों (Sponsor Banks) में विलय करने से तकनीक बदलने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
कर्मचारियों को आधुनिक बैंकिंग सीखने में मिलेगी मदद
पत्र में यह भी कहा गया है कि आरआरबी का मुख्य बैंकों (Sponsor Banks) के साथ विलय होने से ग्रामीण बैंकों के कर्मचारियों को आधुनिक बैंकिंग के तौर-तरीके सीखने में मदद मिलेगी। साथ ही बैंकों में कर्मचारियों की कमी की समस्या भी दूर होगी। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि दोनों बैंकों का वेतनमान और अन्य लाभ (Perquisite) लगभग एक जैसे हैं। पिछले 45 सालों से मुख्य बैंक ग्रामीण बैंकों को चलाने में मदद कर रहे हैं, जिससे ग्रामीण बैंकों के कर्मचारी पहले से ही उनके काम करने के तरीके से परिचित हैं। इस वजह से दोनों बैंकों का विलय आसानी से हो जाएगा।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में लाया जा सकता है बदलाव
वित्त मंत्री को लिखे पत्र में यह भी कहा गया कि आरआरबी का उनके मुख्य बैंकों (Sponsor Banks) के साथ विलय होने से बैंकिंग प्रणाली में निगरानी, प्रशासन और जवाबदेही में सुधार होगा। इससे पूरा बैंकिंग क्षेत्र मजबूत होगा। इस विलय से कई लाभ होंगे, इसलिए पत्र में मांग की गई है कि सभी 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का उनके मुख्य बैंकों के साथ विलय कर दिया जाए। ऐसा करने से मुख्य बैंकों की मजबूत वित्तीय स्थिति और ग्रामीण क्षेत्रों तक ग्रामीण बैंकों की पहुंच का लाभ उठाकर पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव लाया जा सकता है।
12 सरकारी बैंक मिलकर चलाते हैं RRB
इस समय देश में 43 RRB हैं, जिन्हें 12 सरकारी बैंक मिलकर चलाते हैं। इन बैंकों की कुल 22,000 शाखाएँ हैं, जो 702 जिलों में फैली हुई हैं। इन बैंकों में करीब 30 करोड़ बचत खाते और 3 करोड़ लोन खाते हैं। जम्मू और कश्मीर बैंक को छोड़कर बाकी सभी सरकारी बैंकों के अपने RRB हैं। सरकारी बैंकों में पंजाब और सिंध बैंक के पास भी कोई RRB नहीं है। जम्मू और कश्मीर बैंक एकमात्र ऐसा निजी बैंक है जो किसी भी RRB को प्रायोजित नहीं करता है। गौरतलब है कि इनमें से 92 प्रतिशत शाखाएँ शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में स्थित हैं। इन RRB में भारत सरकार की 50% हिस्सेदारी है। बाकी में से 35% हिस्सेदारी उनके मुख्य बैंकों की है और 15% राज्य सरकारों की है।
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