रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट 6.50 फीसदी से घटाकर 6.25 फीसदी किए जाने के बाद बैंकों की ओर से एफडी पर दिए जाने वाले ब्याज दर के घटने की भी चर्चा तेज हो गई है.
ऐसे में भारी-भरकम राशि फिक्स्ड डिपॉजिट में डाल चुके लोगों की चिंता बढ़ गई है. कई लोग अपनी प्रीमेच्योर एफडी से पैसे निकालकर उसे बेहतर रिटर्न वाले फाइनेंशियल टूल में निवेश करना चाहते हैं.
गहराई से सोच-विचार किए बिना हड़बड़ी में ऐसा करने वालों को लेने के देने पड़ सकते हैं. निवेशकों को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि प्रीमेच्योर निकासी पर बैंक जुर्माना लगाते हैं. ऐसे में उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. बता दें कि प्रीमेच्योर निकासी पर लगने वाला जुर्माना केवल कुछ शर्तों के आधार पर ही माफ हो सकता है.
माफ हो सकता है प्रीमेच्योर निकासी पर जुर्माना
प्रीमेच्योर निकासी पर लगने वाला जुर्माना केवल कुछ शर्तों के आधार पर ही माफ हो सकता है. जैसे कि उसी बैंक के साथ फिर से लॉन्ग टर्म की एफडी के लिए री-इंवेस्टमेंट करना. ऐसे में कोई भी कदम उठाने से पहले निवेशकों को अपने बैंक के साथ फाइन स्ट्रक्चर और प्रीमेच्योर निकासी पर मिलने वाली ब्याज के बारे में अच्छी तरह से जान लेना चाहिए. बता दें कि सभी बैंक एफडी की प्रीमेच्योर निकासी पर अलग-अलग पेनाल्टी लगाते हैं. हालांकि यह पेनाल्टी आमतौर पर 0.5 फीसदी से एक फीसदी के बीच होती है.
स्टेट बैंक लगाता है आधा फीसदी पेनाल्टी
भारतीय स्टेट बैंक पांच लाख रुपये तक के टर्म डिपॉजिट की पूर्वनिकासी पर आधा फीसदी की पेनाल्टी लगाता है, जबकि पांच लाख रुपये से अधिक के टर्म डिपॉजिट पर एक प्रतिशत का जुर्माना है. वहीं, पंजाब नेशनल बैंक मैच्योरिटी से पहले निकासी पर एफडी पर मिलने वाली ब्याज दर से 0.5 या एक प्रतिशत कम ब्याज देगा. एचडीएफसी बैंक मैच्योरिटी से पहले निकासी पर एफडी पर मिलने वाली ब्याज दर से एक प्रतिशत कम ब्याज देगा.
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