Toll Plaza : टोल प्लाजा पर वूसले जा रहे अंधाधुंध शुल्क पर अदालत ने चाबुक चला दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि जिन सड़कों का निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है, उन पर पूरा टोल टैक्स वूसला जाना सही नहीं है. इसे घटाने पर 4 महीने में फैसला किया जाना चाहिए.
माता वैष्णो देवी मंदिर सहित जम्मू-कश्मीर के अन्य तीर्थस्थलों तक जाना अब आसान हो जाएगा. जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट ने राज्य को जाने वाले कई हाईवे और दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे पर टोल टैक्स कम करने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा है कि जिन सड़कों का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है, उन पर यात्रियों से ज्यादा टोल नहीं वसूला जाना चाहिए.
दरअसल, जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय ने माता वैष्णो देवी मंदिर के तीर्थयात्रियों समेत राज्य में आने वाले अन्य यात्रियों को बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को केंद्र शासित प्रदेश में वसूले जा रहे भारी टोल शुल्क में चार महीने में कटौती करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि जिन सड़कों का निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है, उन पर यात्रियों से पूरा टोल वसूलना कानूनन सही नहीं है.
सिर्फ 20 फीसदी टोल लगेगा
अदालत ने यह भी कहा गया है कि लखनपुर और बन्न टोल प्लाजा पर वसूला जाने वाला शुल्क लखनपुर से उधमपुर तक राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह से चालू नहीं होने तक पिछले वर्ष 26 जनवरी से पहले लागू दरों का 20 प्रतिशत होगा. इसका मतलब है कि अगर इस टोल पर अभी 100 रुपये शुल्क वसूला जा रहा है तो अब यात्रियों से महज 20 रुपये ही शुल्क लिया जाएगा.
एक्सप्रेसवे पर भी लागू होंगे आदेश
मुख्य न्यायाधीश ताशी राबस्तान और न्यायमूर्ति एमए चौधरी की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर यह निर्देश पारित किया. इसमें दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे पर जारी कार्य के पूरा होने तक लखनपुर और बन्न के बीच जम्मू-पठानकोट राजमार्ग पर वसूले जाने वाले टोल से छूट देने की मांग की गई थी. राजमार्ग को एक्सप्रेसवे से जोड़ने के लिए विस्तारित किया जा रहा है. इस दौरान भी यात्रियों से पूरा टोल वसूजा जा रहा, जबकि उनको काफी असुविधा हो रही है.
अदालत ने लगाई फटकार
हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में आम जनता से पैसा कमाने के एकमात्र उद्देश्य से ही टोल प्लाजा की संख्या में वृद्धि नहीं होनी चाहिए. प्रतिवादी बन्न टोल प्लाजा पर भारी टोल शुल्क वसूल रहे हैं, जबकि अन्य टोल प्लाजा पर भी टोल शुल्क अधिक है.
इस प्रकार न केवल एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के खजाने में हजारों करोड़ रुपये जमा हो रहे हैं, बल्कि निजी ठेकेदार भी करोड़ों रुपये जमा करके खुद को अमीर बना रहे. अदालत ने कहा कि चूंकि आम जनता के लिए शुल्क उचित होना चाहिए और राजस्व सृजन तंत्र का स्रोत नहीं होना चाहिए. लिहाजा संबंधित केंद्रीय मंत्रालय को निर्देश दिया जाता है कि वे टोल प्लाजा पर ‘उचित और वास्तविक’ शुल्क वसूलने पर विचार करें. इस पर 4 महीने के भीतर प्रभावी निर्णय लागू किया जाना चाहिए.
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