Maternity Leave Rule: मेटरनिटी लीव (Maternity Leave) यानी मातृत्व अवकाश कामकाजी महिलाओं को मिलने वाला ऐसा अधिकार होता है, जिसे विशेष परिस्थिति में कोई भी महिला ले सकती है. विशेष परिस्थिति का मतलब है कि प्रेगनेंसी की अवस्था में यह अवकाश लिया जा सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बिना ब्याही लड़कियां यानी अनमैरिड वुमेन भी प्रेगनेंसी की हालात में मेटरनिटी लीव का लाभ ले सकती है. इसे लेकर कानून में क्या व्यवस्था की गई है.
सरकारी हो या प्राइवेट, एकसमान कानून
मेटरनिटी लीव को लेकर सबसे अच्छी बात ये है कि चाहे आपकी कंपनी सरकारी हो या निजी, अवकाश की शर्तों और सुविधाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हालांकि, यह नियम उसी कंपनी पर लागू होगा, जिसमें 10 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हों. अगर कर्मचारियों की संख्या इससे कम है तो उसे कंपनी की परिभाषा के तहत नहीं रखा जाता और इस पर श्रम कानून के नियम लागू नहीं होंगे.
कब मिलती है मैटरनिटी लीव?
श्रम कानून के तहत मातृत्व लाभ विधेयक 2017 में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं. गर्भवती महिलाओं को अब 12 सप्ताह यानी 3 महीने के बजाए 26 सप्ताह यानी 6 महीने का अवकाश दिया जाएगा. इसका मकसद डिलीवरी के बाद मां और बच्चे की समुचित सुरक्षा और देखभाल के लिए पर्याप्त अवसर देना है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस दौरान महिला को कंपनी की ओर से पूरा वेतन दिया जाता है. उसमें किसी भी तरह की कटौती नहीं की जा सकती है.
श्रम कानून के तहत मातृत्व लाभ विधेयक 2017 में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं. इसमें कहा गया है कि गर्भवती महिलाओं को अब 12 सप्ताह यानी 3 महीने के बजाए 26 सप्ताह यानी 6 महीने का अवकाश दिया जाएगा. इसका मकसद डिलीवरी के बाद मां और बच्चे की समुचित सुरक्षा और देखभाल के लिए पर्याप्त अवसर देना है. सबसे बड़ी बात यह है कि इस दौरान महिला को कंपनी की ओर से पूरा वेतन दिया जाता है. उसमें किसी भी तरह की कटौती नहीं की जा सकती है.
इन शर्तों को पूरा करना जरूरी
- कर्मचारी को डिलीवरी से पहले 12 महीनों में से 80 दिन काम करना जरूरी है. तभी मातृतव अवकाश मिल सकेगा.
- बच्चा गोद लेने वाली महिलाओं को भी मातृत्व अवकाश लेने का अधिकार मिलेगा.
- अगर कोई महिला सरोगेसी के तहत बच्चे को जन्म देती है तो उसे भी नवजात शिशु को उसके माता-पिता को सौंपने की तिथि से 26 सप्ताह तक मेटरनिटी लीव मिल सकती है.
बिना शादी के छुट्टी का नियम
भारत सरकार के श्रम कानून के तहत परिभाषित मेटरनिटी लीव में विवाहित या अविवाहित महिलाओं के लिए समान रूप से कानून बनाए गए हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि महिला मैरिड या अनमैरिड, क्योंकि यह कानून सिर्फ गर्भावस्था या बच्चों की देखभाल के लिए बनाया गया है. लिहाजा अनमैरिड वुमेन को भी 26 सप्ताह का मेटरनिटी अवकाश मिलेगा. इस दौरान सैलरी में भी किसी तरह की कोई कटौती नहीं की जाएगी.
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