बिहार का पहला मॉडल सदर अस्पताल का उद्घाटन उप मुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव के द्वारा किया गया.15 करोड़ के लागत से 300 बेड का सदर अस्पताल और शिशु गहन चिकित्सा इकाई है.
बिहार का पहला मॉडल सदर अस्पताल भोजपुर वासियों को सौंप दिया गया. उद्घाटन करते हुए उप मुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने कई बातें कहीं. 15 करोड़ की लागत से 300 बेड का सदर अस्पताल और शिशु गहन चिकित्सा इकाई अब लोगों को समर्पित है. उद्घाटन के मौके पर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के अलावा स्वास्थ्य विभाग के सचिव प्रत्यय अमृत, डीएम राज कुमार और कई विधायक मौजूद रहे. इस अस्पताल में हाई टेक्नोलॉजी सिस्टम की व्यवस्था मरीजो को मिलेंगी.
रेफर करने के बाद बताना होगा कारण
स्वास्थ्य मामले में भोजपुर के लिए एक बड़ी सौगात सरकार के तरफ से देने का दावा किया गया है. उद्घाटन के बाद तेजस्वी यादव ने मीडिया से बात करते हुए इस अस्पताल में मरीजों को मिलने वाले व्यवस्था के बारे में बताया. साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार में पहली बार किसी सरकार ने एक बार में एक हजार डॉक्टरों पर कार्रवाई की है.
ओपीडी में डॉक्टर की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायगी. समय पर डॉक्टर नहीं आयंगे तो हम कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटेंगे. मॉडल सदर अस्पताल में सारी सुविधा उपलब्ध कराने के बाद भी अगर डॉक्टर मरीजों को रेफर करते हैं, तो उसके लिए कारण बताना अनिवार्य होगा.
आधुनिक सुविधाओं से लैस है, मॉडल सदर अस्पताल आरा
बता दें कि मॉडल सदर अस्पताल में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस, 15 करोड़ रुपये की लागत से बने और 300 बेड के इस नए तीन मंजिला भवन के ग्राउंड फ्लोर पर इमरजेंसी वार्ड को रखा गया है. जहां मरीजों को दी जाने वाली उच्चस्तरीय आधुनिक सेवाएं एवं सुविधाएं उपलब्ध होंगी. वहीं, फर्स्ट फ्लोर पर सर्जिकल वार्ड एवं मेडिकल वार्ड तथा सेकंड फ्लोर पर आईसीयू और ओटी को स्थानांतरित किया जाएगा. पूरी तरह से वातानुकुलित इस भवन में सभी बेडों पर ऑक्सीजन प्लांट से पाइप लाइन के जरिए ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.
इमरजेंसी में ट्राइज रूम की व्यवस्था
ग्राउंड फ्लोर पर अति आत्यधुनिक इमरजेंसी वार्ड बनाया गया है.आपातकालीन मरीजों की आवश्यक्ताओं को ध्यान में रखते हुए नए मॉडल सदर अस्पताल भवन में इमरजेंसी वार्ड को ग्राउंड फ्लोर पर बनाया गया है. इस वार्ड में प्रवेश करते ही मरीजों की आरंभिक जांच के लिए ट्रायज रूम बनाया जाएगा. जांच के बाद बीमारी के स्तर को देखते हुए मरीजों को इमरजेंसी वार्ड के यलो, ग्रीन या रेड रूम में शिफ्ट किया जाएगा.