बिहार में जमीन सर्वे यानी भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया 20 अगस्त के बाद शुरू होने जा रही है। यह सर्वे राज्य के 45 हजार से ज्यादा गांवों में कराया जाएगा। इसके जरिए सरकार जमीन की प्रकृति, उस पर बनी हुई घर, कुआं, स्कूल, बगीचे, खेत जैसी हर तरह की जानकारी इकट्ठा करेगी।
बिहार के सभी 45 हजार से अधिक गांवों में जमीन के सर्वे की प्रक्रिया 20 अगस्त के बाद से शुरू होने जा रही है। इसमें जमीन पर मौजूद संरचनाओं या वर्तमान भौतिक स्वरूप के आधार पर इन्हें श्रेणीबद्ध किया जाएगा। राज्य सरकार गांव में मौजूद घर, कुएं, बगीचे समेत हर चीज की जानकारी लेगी। इसके लिए 177 विभिन्न विशिष्टताओं से संबंधित एक विशेष सूची तैयार की गई है। इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि जमीन की मूल प्रकृति क्या है। मसलन, अगर जमीन पर किसी तरह की संरचना या अन्य कोई चीज मौजूद है, तो उसका भी उल्लेख सर्वे में किया जाएगा।
अगर किसी जमीन पर कोई भवन, कच्चा मकान, स्कूल, हॉस्पिटल, किसी तरह का केंद्र, तालाब, पोखर, जंगल, पेड़-पौधे, बगीचा, कुआं, नलकूप, पठार जैसी अन्य किसी तरह की संरचना होगी, तो उसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाएगा। इसमें यह भी दर्ज होगा कि जमीन खाली है, तो यह खेती योग्य है या बंजर है या रेतीली, जैसी जानकारियां भी रहेंगी। जमीन की प्रकृति यानी सरकारी या निजी के अलावा गैर-मजरूआ, गैर-मजरूआ आम, खास समेत अन्य आधार पर श्रेणीवद्ध करने के साथ ही इन विभिन्न विशिष्टताओं का भी वर्णन सर्वे में खासतौर से किया जाएगा।
जमीन के सर्वे में इस तरह का वर्णन करने से उससे संबंधित पूरी जानकारी स्पष्ट रूप से दर्ज हो जाएगी। ये सभी जानकारियां ऑनलाइन भी दर्ज की जाएंगी। इसके लिए विभाग ने पहले से भू-सर्वे से संबंधित वेबसाइट तैयार कर रखा है। जमीन की श्रेणी, प्रकृति, इस पर मौजूद किसी तरह की संरचना समेत तमाम जानकारी सर्वे में दर्ज होगी। इससे किसी जमीन के बारे में ऑनलाइन जानकारी एकत्र करने पर उसका क्षेत्रफल, श्रेणी, मालिकाना हक से लेकर उस पर मौजूद किसी तरह की संरचना समेत अन्य तमाम बातों की जानकारी मिल सकेगी।
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